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भांगड़ में तृणमूल को कीमत चुकानी होगी : दिलीप
कोलकाता. जमीन आंदोलनकारियों के साथ तृणमूल कांग्रेस के संघर्ष से भांगड़ में उत्पन्न तनावपूर्ण स्थिति पर बोलते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि पावर ग्रिड को लेकर चल रहा आंदोलन दरअसल माकपा , कांग्रेस और नक्सलियों के अस्तित्व की लड़ाई है. श्री घोष ने कहा कि यह तबका किसी जगह विशेष […]
कोलकाता. जमीन आंदोलनकारियों के साथ तृणमूल कांग्रेस के संघर्ष से भांगड़ में उत्पन्न तनावपूर्ण स्थिति पर बोलते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि पावर ग्रिड को लेकर चल रहा आंदोलन दरअसल माकपा , कांग्रेस और नक्सलियों के अस्तित्व की लड़ाई है. श्री घोष ने कहा कि यह तबका किसी जगह विशेष को कुरेद कर खबरों की सुर्खियों में आना चाहता है, जिसे सफलतापूर्वक समाधान करने में राज्य सरकार पूरी तरह विफल रही है.
यह लोग जमीन को लेकर काफी दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. वाममोर्चा के समय ही जमीन का अधिग्रहण हुआ था. उस वक्त इसका सदुपयोग नहीं किया गया. इसीलिये लोग आज जमीन नहीं देना चाहते हैं. इसलिए बिजली के लिए जमीन पाने में मुश्किल हो रही है. बहुत से लोग हैं जो अपनी जमीन दे चुके हैं और पैसा भी ले चुके हैं. उन लोगों को लेकर माकपा और कांग्रेस उकसा कर आंदोलन करवा रही है. यह गलत परंपरा है. दोनों पक्षों के बीच बातचीत के मार्फत इस समस्या का समाधान होना चाहिये, लेकिन दोनों पक्ष विफल है. यहां कांग्रेस, वामपंथी और नक्सली अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.
क्या है मामला : पावरग्रिड को लेकर समय-समय पर भांगड़ इलाके में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जा रही है. आंदोलनकारियों के साथ लगातार पुलिस और तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के साथ संघर्ष की घटना हो रही है. अब तक दो आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है.
आंदोलनकारियों का दावा है कि मारे गये लोगों की हत्या के लिए पुलिस जिम्मेवार है, क्योंकि उनकी मौत पुलिस की गोली से हुई है. इसके बाद आंदोलनकारियों ने रास्ता काट कर अवरोध किया था. आंदोलनकारी जमीन, जीविका, आवास व परिवेश राक्षा कमेटी के बैनर तले आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच पुलिस ने पावर ग्रिड आंदोलन से जुड़े भाकपा माले रेड स्टार की नेता शर्मिष्ठा चौधुरी को गिरफ्तार किया था. इससे हालात और गंभीर होने लगे थे.
स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को कई बार इलाके में रूट मार्च भी करनी पड़ी थी. मार्च महीने में आहाद मोल्ला नामक एक आंदोलनकारी को गिरफ्तार करने के बाद शांत भांगड़ फिर अशांत हुआ था. इसके बाद एक बार फिर आंदोलनकारी संगठित होने लगे.
जुलाई महीने में आंदोलनकारियों और अराबुल इस्लाम के समर्थकों में भिड़ंत हुई, जिसमें अराबुल का समर्थक आशिक कुमार उर्फ बाबू सोना गोली से जख्मी हुआ. अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में उसकी मौत हो गयी. वह भांगड़ दो पंचायत समिति का पदाधिकारी था.
इसके बाद पांच अगस्त को पुलिस ने पावरग्रिड विरोधी आंदोलन में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जिसको लेकर फिर आंदोलनों का दौर शुरू हो गया. पावर ग्रिड की स्थापना होगी कि नहीं, इसको लेकर मतदान कराने की मांग उठने लगी. अपने मुद्दे को लेकर आंदोलनकारी चार जनवरी को विरोध सभा कोलकाता में करने जा रहे थे, जिसके प्रचार के लिए उन्होंने जुलूस निकाला तो एक बार फिर हालात गंभीर हो गये. पुलिस इलाके में गश्त लगा रही है, लेकिन तनाव व्याप्त है.
भांगड़ में हिंसा फैलाने की साजिश: रज्जाक मोल्ला
कोलकाता. भांगड़ में रेड स्टार नेता अलीक सरकार के नेतृत्व में हुए बाइक रैली के बाद हुई हिंसक घटना की निंदा करते हुए राज्य के मंत्री व भांगड़ के कद्दावर नेता अब्दुल रज्जाक मोल्ला ने कहा कि पावर ग्रिड के नाम पर इलाके में हिंसा फैलाने की साजिश रची जा रही है. कुछ लोग इलाके में विकास नहीं होने देना चाहते हैं. जिसकी वजह से भोले-भाले ग्रामीणों को बहका कर इस तरह की घटना को अंजाम दिया जा रहा है.
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