उन्होंने कहा कि राज्य के सभी स्कूलों में भी इंटरनेट की सुविधा प्रदान की गयी है. पहले साक्षरता का समय था अब डिजीटल साक्षरता का समय है. स्मार्टफोन व कंप्यूटर के माध्यम से सूचनाओं का प्रवाह बच्चों तक पहुंच रहा है. इसका दुरुपयोग रोकने के लिए हम सभी को मिल कर प्रयास करना होगा. राज्य सरकार की ओर से बच्चों के विकास के लिए कन्याश्री के अलावा कई तरह की परियोजनाएं चलायी जा रही है. कई थानों को वाट्स एप के माध्यम से जोड़ा गया है और बाल विवाह को रोकने का काम किया जा रहा है, मगर ब्लू ह्वेल जैसी घटनाएं इसके दुखद पक्ष हैं.
राज्य के बाल सुरक्षा आयोग की चेयरपर्सन अनन्या चटर्जी चक्रवर्ती ने कहा कि ऑनलाइन एब्यूज को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का फरवरी में आयोजन किया जायेगा, जिसमें बच्चों को डिजीटल मीडिया के दुरुपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी जायेगी. इसके अलावा विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से महिलाओं की तस्करी रोकने का काम जारी है. कंप्यूटर के आने के बाद बच्चों की क्या स्थिति है. यूनीसेफ के बंगाल के प्रमुख मोहम्मद मोहीउद्दीन ने कहा कि ऑनलाइन का इस्तेमाल करने वाले बच्चों में डिजीटल लत को लेकर राज्य के विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिल कर कार्य किया जा रहा है. बच्चों को इसके दुरुपयोग से रोकने के लिए पर्याप्त कानून का अभाव है. हर तीन में एक बच्चा इंटरनेट का इस्तेमाल करता है. 56 फीसदी वेबसाइट व्यस्कों के लिए तैयार की गयी है, जिसका बच्चे उपयोग करते हैं. इस पर ध्यान देने की जरूरत है. मौमिता दस्तीदार ने धन्यवाद ज्ञापन किया.