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हर पांच मिनट में सड़क पर जाती है एक जान

जागरूकता की कमी : देश की आधी जनता नहीं पहनती हेलमेट, भारत में सड़क सुरक्षा की हालत चिंताजनक अमर शक्ति कोलकाता : देश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या थमने का नाम ही नहीं ले रहीं. सड़क दुर्घटना को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के सभी प्रयास धरे के धरे रह जा रहे हैं. सरकारी […]

जागरूकता की कमी : देश की आधी जनता नहीं पहनती हेलमेट, भारत में सड़क सुरक्षा की हालत चिंताजनक
अमर शक्ति
कोलकाता : देश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या थमने का नाम ही नहीं ले रहीं. सड़क दुर्घटना को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के सभी प्रयास धरे के धरे रह जा रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले एक दशक में दुर्घटनाओं के कारण होनेवाली मौतों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.
वर्ष 2001 के मुकाबले 2011 में ये मौतें 44.2 प्रतिशत तक बढ़ गयीं. यह आंकड़ा बताता है कि भारत में हर पांच मिनट में सड़क पर किसी एक व्यक्ति की मौत हो रही है और माना जा रहा है कि 2020 तक यह आंकड़ा हर तीन मिनट में एक मौत तक पहुंच जायेगा. यानी प्रत्येक तीन मिनट में व्यक्ति की मौत.
लेकिन इसके पीछे वजह हमारी लापरवाही व जागरूकता की कमी है. भारत के आधे से ज्यादा लगभग 57 प्रतिशत बाइक चालकों ने स्वीकार किया कि वे बाइक चलाते समय हेलमेट नहीं पहनते.
वहीं, बाइक पर पीछे बैठनेवाले लोगों का कहना है कि हम तो पीछे बैठे हैं, हमें क्या होगा. देश के 74 प्रतिशत लोगों का कहना है कि बाइक में पीछे बैठते समय वे हेलमेट पहनना जरूरी नहीं समझते. सर्वे के अनुसार, हेलमेट पहनने से किसी दुर्घटना में चालक के बचने की संभावना 42 प्रतिशत और गंभीर चोटों से बचाव की संभावना 69 प्रतिशत तक बढ़ा देती है.
एक्साइड लाइफ इंश्योरेस द्वारा किये गये सर्वे बताया है कि सड़क सुरक्षा के मामले में दोपहिया वाहन चालक किस तरह के झूठे तर्कों का सहारा लेते हैं और ये ऐसे तर्क हैं, जो बहुत हद तक जानलेवा है. दोपहिया वाहन के पीछे की सीट पर बैठनेवालों की सुरक्षा बहुत चिंताजनक स्थिति में है. भारतीय सड़कों पर हेलमेट सिर्फ नियम मानने के लिए ही पहना जाता है.
हर चार में से एक दोपहिया वाहन चालक बच्चों को बिना हेलमेट पिछली सीट पर बैठाता है. यह तथ्य भारतीय दोपहिया वाहन चालकों की इस मानसिकता को बताती है कि वे निजी जिम्मेदारी मानने के बजाय नियम का पालन करने के लिए हेलमेट पहनते हैं. सड़क दुर्घटनाएं रोकने में हमारी विफलता बताती है कि सड़क सुरक्षा के लिए हमारे प्रयास सफल नहीं हो पाये हैं और इनमें बदलाव की तुरंत जरूरत है.
एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस के निदेशक (मार्केटिंग एंड डायरेक्ट चैनल) मोहित गोयल कहते हैं कि यह सभी जानते हैं कि हेलमेट दोपहिया वाहन चालकों के लिए उपयेागी है. यह आपको पूरी तरह से भले ही न बचा पाये, लेकिन आपकी चोट की गंभीरता को कम कर सकता है. इसके बावजूद 70 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि वे बिना हेलमेट के बाइक चलाते हैं.
हेलमेट के प्रति अिभभावकों का भी है उदासीन रवैया
अभिभावक यह मानते हैं कि दोपहिया वाहन चलाते समय बच्चों के लिए एक सुरक्षा गीयर होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इसका सख्ती से पालन नहीं किया जाता. चैंकानेवाली बात यह है कि करीब 24 प्रतिशत अभिभावक अपने बच्चों को बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चलाने की अनुमति दे देते हैं और करीब आधे दिन में कम से कम बार पीछेवाली सीट पर बच्चों को बिना हेलमेट पहने देखते हैं.
इस विषय पर जागरूकता बढ़ने के बावजूद दुनिया के किसी भी देश यहां तक कि सबसे अधिक जनसंख्या वाले चीन के मुकाबले में भी हमारे यहां सड़क दुर्घटनाओं में मरनेवालों की संख्या सबसे ज्यादा है.
सर्वे में सामने आये चौंकानेवाले खुलासे
13 प्रतिशत लोगों का कहना है कि हेलमेेट की कीमत काफी अधिक है, इसलिए उनके पास हेलमेट खरीदने के पैसे नहीं हैं. वहीं, 16 प्रतिशत मानते हैं कि उन्हें कोई कानून मानने की जरूरत नहीं है, 22 प्रतिशत सिर्फ आदत के कारण हेलमेट नहीं पहनते हैं और करीब एक तिहाई लगभग 29 प्रतिशत आराम के कारण हेलमेट नहीं पहनते.
23 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि पीछे बैठनेवाला चालक के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होता है. 23 प्रतिशत बिना हेलमेेट पीछे वाली सवारी बैठा लेते हैं और 24 प्रतिशत पीछेवाली सवारियां बिना हेलमेट मिलने वाली लिफ्ट स्वीकार करने को तैयार हैं.

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