कोलकाता. तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है. दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बंगाल सरकार द्वारा विशेष पहल की जा रही है. सरकार द्वारा महानगर स्थित नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनआरएस)में रिजनल ऑर्टिफिशियल लिंब फिटिंग स्टेंर (आरएएलएफसी) चालू किया गया है. यहां दिव्यांगों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग दिये जाते हैं. बता दें कि आरएएलएफसी को 1978 में चालू किया गया था.
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दिव्यांगों का अरमां पूरा कर रहा एनआरएस
कोलकाता. तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है. दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बंगाल सरकार द्वारा विशेष पहल की जा रही है. सरकार द्वारा महानगर स्थित नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनआरएस)में रिजनल ऑर्टिफिशियल लिंब फिटिंग स्टेंर (आरएएलएफसी) चालू किया गया है. यहां दिव्यांगों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग दिये जाते […]
कर्मियों के अभाव में 2011 में यह पूरी तरह बंद हो गया. 2015 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर इसे दोबारा नये रूप में चालू किया गया.
एक साल में 621 दिव्यांग हुए लाभान्वित
अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, इस वर्ष जनवरी से अब तक करीब 621 लोगों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग दिये गये. 109 पैर और 68 अत्याधुनिक कृत्रिम हाथ का वितरण किया गया. यहां अर्थोपेडिक सपोर्टिव डिवाइस जूता, बेल्ट, मधुमेह रोगियों के लिए विशेष प्रकार का चप्पल भी तैयार किया जाता है. जनवरी से अब तक करीब 444 लोगों को अर्थोपेडिक सपोर्टिव डिवाइस दिये गये हैं. आरएएलएफसी में सेलिब्रल पल्सी ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को ऑक्यूपेशनल थेरेपी भी दी जाती है. गत एक वर्ष में करीब 413 बच्चे इससे लाभान्वित हुए हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
सीएम के निर्देश पर आरएएलएफसी को नये रूप में तैयार किया गया है. यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेष कृत्रिम अंग व अर्थोपेडिक सपोर्टिव डिवाइस तैयार किया जा रहा है. हमारी यह कोशिश रहती है है कि ज्यादा से ज्यादा लोग सरकार की इस परिसेवा का लाभ उठा सकें.
डॉ द्वैपायन विश्वास, उपाधीक्षक, एनआरएस
एनआरएस में राज्य सरकार द्वारा संचालित एकमात्र आर्टिफिशियल लिंब सेंटर है. यहां नि:शुल्क कृत्रिम अंग वितरण किये जाते हैं. यहां बिहार, झारखंड से भी लोग आते हैं. हमारी अपील है कि कृत्रिम अंग रिहैब्लिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आरसीआइ) द्वारा प्रशिक्षित लोगों से ही कृत्रिम अंग लें. बाजार में फर्जी व झोला छाप रिहैब्लिटेशन विशेषज्ञों की भरमार है. एनआरएस के आरएएलएफसी से कृत्रिम अंग लेने के लिए दिव्यांग सर्टिफिकेट व पहचान पत्र के साथ सेंटर में आवेदन करना पड़ता है या किसी भी फिजिकल मेडिसीन एंड रिहैब्लीटेशन विशेषज्ञ द्वारा दिव्यांग को एनआरएस रेफर करने पर अंग दिये जाते हैं.
आबिर मित्रा, इंचार्ज (आरएएलएफसी)
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