कोलकाता: राज्य के लगभग 31 निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करना पड़ सकता है. ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीइ) ने इस मामले में एक गंभीर फैसला लिया है. काउंसिल की ओर से सूचित किया गया है कि जिन कॉलेजों में एकेडमिक सत्र 2017-2018 में 70 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं. उनकी मान्यता रद्द की जायेगी.
इस मामले में पश्चिम बंगाल ज्वाइन्ट एंट्रेंस परीक्षा बोर्ड के एक अधिकारी का कहना है कि एक समय ऐसा था, जब बंगाल के छात्र इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने के लिए काफी उत्सुक रहते थे. इसी अाधार पर निजी तकनीकी संस्थान काफी बढ़ते गये. अब हरेक राज्य में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बन गया है.
अब महत्वाकांक्षी इंजीनियरों की संख्या काफी कम हो रही है. आइआइटी में भी सीटों की संख्या बढ़ायी गयी है. छात्र अब या तो सरकारी कॉलेज में या तो नामी संस्थान में दाखिला लेना चाहते हैं, ताकि उनको अच्छा प्लेसमेंट का माैका मिल सके. बताया जाता है कि इस साल मुर्शिदाबाद के डोमकल में एक निजी तकनीकी कॉलेज में मात्र दो ही सीटों पर दाखिला हो पाया. वहीं पश्चिम मिदनापुर में एक कॉलेज में केवल छह छात्रों ने ही दाखिला लिया.
क्या कहना है शिक्षा विभाग का
शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार ने अब यह फैसला किया है कि राज्य में अब ऐसे कॉलेजों का विस्तार न किया जाये, बल्कि इनके बढ़ने पर रोक लगा दी जाये. अगर सीटें खाली रही हैं तो कॉलेजों को चलाने से कोई फायदा नहीं है.
इसी साल खुले राज्य के केवल दो कॉलेज ही सभी सीटों पर दाखिला देने में कामयाब हुए. एआइसीटीइ के नियमानुसार कॉलेज में सीटें रिक्त होने से मान्यता रद्द की जा सकती है. उसको बंद करने की घोषणा भी कर सकती है. एफिलियेटेड यूनिवर्सिटी को उस संस्थान के छात्रों को अन्य संस्थान में भेजने का कदम उठाना पड़ सकता है. अगर एआइसीटीइ अपने इस फैसले पर अडिग रहती है तो लगभग 31 निजी तकनीकी कॉलेज बंद हो सकते हैं. अब भविष्य में एआइसीटीइ को किसी कॉलेज को मान्यता या मंजूरी देने से पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर, पर्याप्त शिक्षक व अन्य सुविधाअों को भी ध्यान में रखना होगा.