कोलकाता. मृत्यु के बाद देह व अंग दान करने के मामले में पश्चिम बंगाल देश के अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे है. लेकिन वर्तमान सरकार व स्वास्थ्य विभाग की जागरूकता मूलक योजनाओं से राज्यवासी देह दान व अंग दान के प्रति रुचि रहे हैं. सरकार की कोशिशों के कारण ही गत वर्ष मरणोपरांत करीब 5 शव का आर्गन डोनेट किया गया.
इस वर्ष 13 अक्तूबर को महानगर में फिर एक बार मरणोपरांत ऑर्गन डोनेट किया जा सकता था. लेकिन अस्पताल के कुछ कर्मियों की उदासीनता तथा मृतक के परिजनों के साथ संवादहीनता के अभाव के कारण यह संभव नहीं हो सका. बाद में स्वास्थ्य विभाग के अलाअधिकारी के हस्तक्षेप से मृतक का नेत्र दान किया जा सका.
घटना महानगर के कोठारी मेडिकल हॉस्पिटल की है. यहां गत 8 अक्तूबर को दक्षिण 24 परगना जिले के विष्णुपुर थाना क्षेत्र के खोड़ीबेड़ियां के रहने वाले गिरीश बबलानी (37) को भर्ती कराया गया था. गिरीश को ब्रेन स्ट्रोक की शिकायत थी. उन्हें वेंटिलेशन पर रखा गया था. इस बीच शुक्रवार रात 8.06 बजे गिरीश की मौत हो गयी. मौत के बाद परिजनों ने अंग दान करने का फैसला किया. लेकिन इसके लिए अस्पताल प्रबंधन तैयार नहीं था. प्रबंधन के अनुसार आर्गन डोनेट के लिए अस्पताल में उपयुक्त व्यवस्था नहीं है.
परिवार को अंग दान करने का फैसला मौत के पहले लेना चाहिए. मृतक के भाई ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से उन्हें ठीक तरह से गाइड नहीं किया गया था. अगर हमें पहले बता दिया गया होता कि मरीज की हालत काफी नाजुक है और किसी भी समय हमें कोई बुरी खबर मिल सकती है ,तो हम पहले से अंग दान करने के लिए सारी तैयारियां कर लिये होते. अस्पताल के कुछ कर्मियों की उदासीनता के कारण हम अपने भाई का अंग दान नहीं कर सके. उनकी मौत के बाद प्रभात खबर की मदद से हमने स्वास्थ्य भवन के सहनिदेशक (प्रशासन) डॉ अदिति किशोर सरकार से संपर्क किया. डॉ सरकार की मदद से मरणोरांत दोनों आंखों की कॉर्निया दिशा अस्पताल को दान की गयी.
कोठारी के निचले स्तर के कुछ कर्मियों की उदासीनता के कारण इस बार देह केडेवर का अंग दान संभव नहीं हो सका है. इस घटना से अस्पताल के सुपरिटेंडेंट को अवगत करा दिया है. मृत गिरीश के शव से जो कॉर्निया लिया गया है उससे दो लोगों को रोशनी मिलेगी. गिरीश की उम्र कम होने के कारण कॉर्निया की स्थिति काफी अच्छी थी.
डॉ अदिति किशोर सरकार , सहनिदेशक (प्रशासन), स्वास्थ्य विभाग.