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गोरखालैंड: अलग राज्य की मांग को माकपा ने नकारा, पहाड़ समस्या के स्थायी समाधान पर दिया जोर

सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग पहाड़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए सिलीगुड़ी के माकपा विधायक सह मेयर अशोक भट्टाचार्य ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को नकार दिया है. उन्होंने त्रिपक्षीय वार्ता के जरिए जीटीए को सुदृढ़ करने या उसी तर्ज पर स्वायत्त निकाय गठन की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने राज्य व केंद्र […]

सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग पहाड़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए सिलीगुड़ी के माकपा विधायक सह मेयर अशोक भट्टाचार्य ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को नकार दिया है. उन्होंने त्रिपक्षीय वार्ता के जरिए जीटीए को सुदृढ़ करने या उसी तर्ज पर स्वायत्त निकाय गठन की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने राज्य व केंद्र सरकार के राजनीति की कड़ी आलोचना करते हुए त्रिपक्षीय वार्ता में गोजमुमो सुप्रीमो बिमल गुरूंग को र्भा शामिल करने पर विशेष जोर दिया है. पहाड़ की वर्तमान स्थिति का जाएजा लेने के लिए माकपा की एक टीम जल्द ही पहाड़ जायेगी.
गुरूवार की दोपहर सिलीगुड़ी नगर निगम के सभागार में पत्रकारों को संबोधित करते हुए माकपा विधायक सह मेयर अशोक भट्टाचार्य ने पहाड़ को लेकर कई मांगे राज्य व केंद्र सरकार के सामने रखी. उन्होंने कहा कि बिना किसी देरी के त्रिपक्षीय बैठक होनी चाहिए. इस बैठक में गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरूंग की उपस्थिति अवश्य होनी चाहिए.

बिमल गुरूंग की उपस्थिति के बिना पहाड़ मसले को लेकर की गयी कोई भी बैठक सफल नहीं होगी. अप्रत्यक्ष रूप से बिमल गुरूंग का समर्थन करते हुए श्री भट्टाचार्य ने कहा कि नागालैंड में नगा आंदोलन को खत्म करने के लिए जो बैठक हुयी थी उस समय सशस्त्र आंदोलनकारी गुटों के प्रमुखों ने उसमें भाग लिया है. नेपाल में भी माओवादी त्रिपक्षीय वार्ता में शामिल हुए थे. ऐसे में भला फिर अलग राज्य के मसले पर होने वाली त्रिपक्षीय बैठक में बिमल गुरूंग क्यों नहीं रहेंगे. हालांकि श्री भट्टाचार्य ने पहाड़ पर गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग को नकार दिया. उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए स्वायत्त निकाय बनाने की वकालत जरूर की है.

पहाड़ पर पुलिस फायरिंग और आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के मामलों की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग भी उन्होंने की. श्री भट्टाचार्य ने आगे कहा कि वर्ष 2011 के जीटीए समझौता में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ही गोरखालैंड की मांग को छोड़े बगैर जीटीए स्वीकार करने की बात मान ली है. उन्होंने कहा कि गोजमुमो नेताओं पर झूठे मामले व आंदोलनकारियों के खिलाफ किए गए विभिन्न मामलों को खत्म कर त्रिपक्षीय वैठक होनी चाहिए. राज्य व केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने आगे कहा कि तृणमूल व भाजपा पहाड़वासियों से झूठे वादे कर वोट बटोरती रही है.

पिछले दोनों लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहाड़वासियों को अलग राज्य गोरखालैंड बनाने का आश्वासन दिया था. जबकि वर्ष 2011 के विधान सभा चुनाव में तृणमूल ने भी अलग राज्य की सहमति देकर पहाड़वासियों के वोट लिए थे. आज दोनों पार्टी अपने वादों से मुकर रही है. जबकि माकपा ने बंगाल विभाजन की मांग को कभी स्वीकार ही नहीं किया.
क्या है मामला
यहां बता दें कि कुल 103 दिन बंद रहने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अपील पर गोजमुमो प्रमुख विमल गुरूंग ने बंद वापस लिया है. पहाड़ की स्थिति धीरे-धीरे समान्य हो रही है. लेकिन अलग राज्य गोरखालैंड मुद्दे पर पहाड़ का माहौल अभी भी गरम है. बंद खत्म होने के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष पहाड़ दौरे पर हैं. अगले कुछ दिनों माकपा की एक टीम भी वहां जा रही है. इस टीम में माकपा सांसद मुहम्मद सलीम सहित अन्य हेवीवेट नेता शामिल रहेगें. गोजमुमो अब भी अलग राज्य गोरखालैंड के अलावा किसी भी मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं है. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने गोजमुमो से निष्कासित नेता विनय तमांग और अनित थापा को जीटीए की बागडोर सौंपकर पहाड़ पर अपना अधिपत्य कायम कर लिया है.

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