हालांकि उन्हें पार्टी से सस्पेंड करने का फरमान खुद पार्थ चटर्जी ने ही सुनाया था. लेकिन वह फरमान मौखिक था, उन्हें किसी तरह का पत्र नहीं दिया गया था. इससे पहले कुणाल घोष अपने पुराने फेसबुक पोस्ट में खुद को तृणमूल कांग्रेस के सदस्य के रूप में चंदा देने और पार्टी के साथ रहने की बात लिखी थी. दूसरी तरफ, दुर्गा पूजा के ठीक पहले राजा राममोहन राय पुस्तकालय में खुली हवा के बैनर तले वह एक परिचर्चा सभा में मुकुल राय को आमंत्रित कर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बगावत का संदेश दिया था. खुद उनके मुहल्ले की पूजा का उदघाटन करते हुए मुकुल राय ने इशारों में ममता बनर्जी पर निशाना साधा था. जिसकी वजह से उनके पार्टी से बाहर जाने का उनका रास्ता साफ हो गया था.
मुकुल राय खुद पार्टी के साथ नाता तोड़ने की राह पर बहुत आगे बढ़ गये हैं. ऐसे में माना यह जा रहा था कि कुणाल घोष भी उनके साथ रहेंगे. लेकिन गुरुवार को कुणाल के पोस्ट पर एक बार फिर सस्पेंस बन गया. राजनीतिक हलकों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. कोई इसे कुणाल की घर वापसी से जोड़कर देख रहा है, तो कोई यह कयास लगा रहा है कि नर्म रूख दिखाकर पार्थ को भी साथ लेने की रणनीति बनायी गयी है.
हालांकि पार्थ चटर्जी ने मुकुल राय को अपना बेस्ट फ्रेंड बताते हुए उनके पार्टी से अलग होने के फैसले को बल्डंर करार दिया है. उनका कहना है कि ममता से ही बहुतों की पहचान बनी है. जिसमें वह खद और मुकुल को भी रखते हैं. खुद प्रदेश भाजपा के नेता भी समझ नहीं पा रहे हैं कि कुणाल और मुकुल राय का अगला कदम क्या होगा. इसको लेकर सस्पेंस बना हुआ है.