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कुणाल को लेकर भाजपा में दुविधा

कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस से निलंबित सांसद कुणाल घोष को लेकर भाजपा में असमंजस की स्थिति है. कमोवेश यही हाल तृणमूल कांग्रेस के अंदर भी है. कुणाल घोष क्या करेंगे, इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के नेता हर कोई केवल कयास लगा रहा है. खुलकर कोई बोलने को तैयार नहीं है. खुद कुणाल घोष अभी […]

कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस से निलंबित सांसद कुणाल घोष को लेकर भाजपा में असमंजस की स्थिति है. कमोवेश यही हाल तृणमूल कांग्रेस के अंदर भी है. कुणाल घोष क्या करेंगे, इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के नेता हर कोई केवल कयास लगा रहा है. खुलकर कोई बोलने को तैयार नहीं है.
खुद कुणाल घोष अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं. उनकी स्थिति कुछ इस कदर है कि वह वापस तृणमूल कांग्रेस में जा रहे हैं या मुकुल राय के साथ जायेंगे, इस बारे में पूछने पर वह केवल यही कहते हैं कि मेरा फेस बुक पोस्ट मेरा रूख बतायेगा. गुरुवार को वह अपने पोस्ट में तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी के साथ अपने करीबी रिश्ते का जिक्र करते हुए साफ कहा है कि पार्थ दा के खिलाफ व्यक्तिगत निंदा करनेवाले गलत कर रहे हैं. क्योंकि वह पार्टी के जिस पद पर हैं] वह उनका दायित्व है और वह वही कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराना गलत है.

हालांकि उन्हें पार्टी से सस्पेंड करने का फरमान खुद पार्थ चटर्जी ने ही सुनाया था. लेकिन वह फरमान मौखिक था, उन्हें किसी तरह का पत्र नहीं दिया गया था. इससे पहले कुणाल घोष अपने पुराने फेसबुक पोस्ट में खुद को तृणमूल कांग्रेस के सदस्य के रूप में चंदा देने और पार्टी के साथ रहने की बात लिखी थी. दूसरी तरफ, दुर्गा पूजा के ठीक पहले राजा राममोहन राय पुस्तकालय में खुली हवा के बैनर तले वह एक परिचर्चा सभा में मुकुल राय को आमंत्रित कर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बगावत का संदेश दिया था. खुद उनके मुहल्ले की पूजा का उदघाटन करते हुए मुकुल राय ने इशारों में ममता बनर्जी पर निशाना साधा था. जिसकी वजह से उनके पार्टी से बाहर जाने का उनका रास्ता साफ हो गया था.

मुकुल राय खुद पार्टी के साथ नाता तोड़ने की राह पर बहुत आगे बढ़ गये हैं. ऐसे में माना यह जा रहा था कि कुणाल घोष भी उनके साथ रहेंगे. लेकिन गुरुवार को कुणाल के पोस्ट पर एक बार फिर सस्पेंस बन गया. राजनीतिक हलकों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. कोई इसे कुणाल की घर वापसी से जोड़कर देख रहा है, तो कोई यह कयास लगा रहा है कि नर्म रूख दिखाकर पार्थ को भी साथ लेने की रणनीति बनायी गयी है.

हालांकि पार्थ चटर्जी ने मुकुल राय को अपना बेस्ट फ्रेंड बताते हुए उनके पार्टी से अलग होने के फैसले को बल्डंर करार दिया है. उनका कहना है कि ममता से ही बहुतों की पहचान बनी है. जिसमें वह खद और मुकुल को भी रखते हैं. खुद प्रदेश भाजपा के नेता भी समझ नहीं पा रहे हैं कि कुणाल और मुकुल राय का अगला कदम क्या होगा. इसको लेकर सस्पेंस बना हुआ है.

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