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विकास कार्यों के लिए कॉलेजों को दी गयी धनराशि का देना होगा हिसाब

कोलकाता: राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने यहां के सभी अनुदान प्राप्त कॉलेजों को एक सूचना जारी की है. इसमें सभी कॉलेजों को वर्ष 2015-16 के लिए राजकोषीय फंड से दी गयी उस राशि का हिसाब मांगा गया है, जिसका अब तक कोई उपयोग नहीं हुआ है. पिछले फंड का उपयोग अगले मार्च तक भी […]

कोलकाता: राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने यहां के सभी अनुदान प्राप्त कॉलेजों को एक सूचना जारी की है. इसमें सभी कॉलेजों को वर्ष 2015-16 के लिए राजकोषीय फंड से दी गयी उस राशि का हिसाब मांगा गया है, जिसका अब तक कोई उपयोग नहीं हुआ है. पिछले फंड का उपयोग अगले मार्च तक भी अगर नहीं किया गया तो, यह राशि लाैटाने का आदेश दिया गया है. हाल ही विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में यह कहा गया है. इस नये फरमान के बाद कॉलेजों की चिंता बढ़ गयी है. कुछ प्रिंसिपलों का कहना है कि इस धनराशि का उपयोग वे कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए किया गया है. अब उनके पास कोई ऐसा फंड नहीं है, जिसका उपयोग नहीं हुआ है.
दक्षिण कोलकाता के एक कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि कुछ फंड की राशि खर्च हो गयी है. जो बची है, उसे एक समय के अंदर ही लाैटा देना था, लेकिन नहीं लाैटाया गया. अब सरकार इसी को लेने के लिए नोटिस जारी की है. कॉलेजों को वह धनराशि लाैटानी होगी, जो जिसका उपयोग योजना के निर्धारित समय-सीमा में नहीं हो सका है.
अलग-अलग योजना में वितरित किये गये फंड का विभाग की ओर से हिसाब मांगा जा रहा है. शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शिक्षकों व गैर-शिक्षा कर्मियों को तनख्वाह देने के लिए सरकार राज्य के कॉलेजों को बड़ी राशि प्रदान करती है. इसके अलावा कॉलेजों का इंफ्रास्ट्रक्चर, नयी इमारतों के निर्णाण कार्य के लिए, किताबें खरीदने के लिए प्रयोगशालाओं को अपग्रेड करने व छात्रों के कार्यक्रम संचालन के लिए भी फंड दिया जाता है. इनमें से कई कॉलेज हैं, जो पूरा फंड खर्च नहीं कर पाये हैं. उनके पास वह धनराशि ऐसे ही पड़ी हुई है.
अब पैसा लाैटाने के लिए कॉलेज बाध्य हैं. यह पहली बार है, जब कॉलेजों को उपयोग में नहीं लायी गयी राशि को वापस करने के लिए कहा गया है. कई प्रिंसिपलों का कहना है कि फंड को लाैटाने की मांग के पीछे मकसद यही है कि इस धनराशि का कहीं आैर बेहतर उपयोग किया जा सके. नये व ग्रामीण कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए इस फंड का उपयोग किया जायेगा. हाल ही प्रशासनिक रिव्यू बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि फंड का सही उपयोग करने के लिए निगरानी होनी चाहिए.
उच्च शिक्षा विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि सभी संस्थानों को इसका हिसाब देना होगा कि वह धनराशि कहां खर्च की गयी है. इसमें कितना विकास कार्य हुआ है. बची हुई राशि से कुछ अन्य योजनाओं पर खर्च किया जायेगा. कई कॉलेजों ने सरकार से बाऊंड्री दीवार बनाने के लिए फंड लिया है. कैम्पस का विस्तार करने व नये कैम्पस बनाने के लिए भी पैसा लिया गया है. इसमें ज्यादातर योजनाओं को पूरा करने का समय बीत चुका है. ऐसी शिकायत मिलने के बाद विभाग ने यह नयी घोषणा जारी की है.

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