प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने साफ शब्दों कहा है कि जिन रोहिंग्यों को बंगलादेश से निकाल कर अंग्रेजों ने अपने लाभ के लिए आराकन प्रदेश में बसाया वे शुरू से ही उस देश के खिलाफ साजिश रचते रहे. इसी वजह से वहां के प्रशासन ने कभी उन्हें अपना नागरिक नहीं माना. इस्लामिक आतंकवाद के तहत संचालित होनेवाले इन रोहिंग्यों को विदेशों से पूरा फंड मिलता है.
उन्हें किसी भी कीमत पर भारत में घुसने नहीं दिया जायेगा. वे घुसपैठिये हैं और उनके साथ उसी तरह का व्यवहार किया जायेगा. यह केंद्र सरकार की घोषित नीति है, लेकिन ममता बनर्जी के तुष्टिकरण की नीति के कारण उनके ही पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी सुप्रीम कोर्ट में मामला लड़ रहे हैं. जबकि रोहिंग्या लोगों का संपर्क आतंकवादियों से है यह साबित हो गया है. भारत में 40 हजार के करीब ये घुसपैठ कर चुके हैं. सबूत तो यहां तक मिला है कि बंगाल से उन्हें प्रमाणपत्र आदि भी दिये जा रहे हैं.
अब बकायदा राज्य सरकार उन्हें बसाने के मूड में है. लेकिन हम यह होने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि हमलोग पहले से ही दो करोड़ बंगलादेशियों को लेकर जूझ रहे हैं. अब और झेलने की जरूरत नहीं है. लेकिन ममता बनर्जी केवल वोट बैंक के लिए जबरदस्ती इसमें अपनी टांग अड़ा रही हैं. यह मामला पूरी तरह केंद्र का है और फैसला लेने का हक भी उन्हीं का है. लिहाजा जंतर-मंतर पर धरना देनेवाले तृणमूल कांग्रेस के नेता और पदाधिकारी कश्मीरी पंड़ितों के लिए क्यों नहीं आवाज उठाते. क्या दीदी बंगाल को नया कश्मीर बनाने पर तुली हुई हैं.