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स्वास्थ्य आयोग के खिलाफ याचिका

कोलकाता: स्वास्थ्य नियंत्रक आयोग द्वारा उनके खिलाफ की गयी टिप्पणी और उनके मामले को मेडिकल काउंसिल में भेजे जाने पर डॉ महेश गोयनका ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की है. डॉ गोयनका के वकीलों के मुताबिक स्वास्थ्य नियंत्रक आयोग उनके खिलाफ न तो कोई टिप्पणी कर सकता है और न ही उनके मामले को […]

कोलकाता: स्वास्थ्य नियंत्रक आयोग द्वारा उनके खिलाफ की गयी टिप्पणी और उनके मामले को मेडिकल काउंसिल में भेजे जाने पर डॉ महेश गोयनका ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की है.
डॉ गोयनका के वकीलों के मुताबिक स्वास्थ्य नियंत्रक आयोग उनके खिलाफ न तो कोई टिप्पणी कर सकता है और न ही उनके मामले को मेडिकल काउंसिल को ही भेज सकता है. आयोग ऐसा केवल संस्थान के खिलाफ ही कर सकता है. न्यायाधीश देवांशु बसाक की अदालत में मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी.
उल्लेखनीय है कि चार महीने पहले अपोलो अस्पताल में कुहेली चक्रवर्ती की मौत की घटना में राज्य स्वास्थ्य काउंसिल की निगरानी को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. बुधवार को सुनवाई में डॉ गोयनका के वकील लक्ष्मीकुमार गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य नियंत्रक कमीशन ने उक्त चिकित्सक को जो नोटिस दिया है, वह उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर का कार्य है. वेस्ट बंगाल क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2017 में कहीं भी उल्लेख नहीं है कि चिकित्सकीय लापरवाही की बात कहकर स्वास्थ्य नियंत्रक आयोग उक्त चिकित्सक के खिलाफ मेडिकल काउंसिल में कोई जांच नोट भेज सकता है. या फिर मेडिकल काउंसिल में मामले को रेफर कर सकता है.
गौरतलब है कि राज्य सरकार की भूमिका को अदालत ने जानना चाहा है. लेकिन राज्य की ओर से कोई वकील न होने पर न्यायाधीश देवांशु बासक ने गुरुवार को सुनवाई का दिन निर्धारित किया है.
क्या है मामला : एक बच्चे की मौत की इस घटना में राज्य स्वास्थ्य आयोग की निगरानी के खिलाफ कलकत्ता हाइकोर्ट में डॉ गोयनका तथा एक एनास्थिसिस्ट ने मामला किया है. गत 15 अप्रैल को अपोलो अस्पताल में चार महीने की कुहेली चक्रवर्ती को भर्ती कराया गया था. चार दिनों के बाद उसकी मौत हो गयी थी. कुहेली के माता-पिता अभिजीत व शालु चक्रवर्ती का आरोप है कि चिकित्सकीय लापरवाही के कारण कुहेली की मौत हुई थी. दो चिकित्सक तथा एक एनास्थिसिस्ट के खिलाफ फूलबागान थाने में शिकायत भी उन्होंने दर्ज करायी थी. मामले को लेकर राज्य मेडिकल काउंसिल जांच कर रहा है. राज्य के स्वास्थ्य नियंत्रक आयोग ने हाल ही में कहा था कि तीनों चिकित्सक की लापरवाही के कारण बच्चे की मौत हुई थी. आयोग ने अपोलो अस्पताल को बच्चे के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था.

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