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एक तो मर्ज की मार, ऊपर से चूहे-खटमल करते परेशान

कोलकाता : महानगर स्थित स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसीन राज्य का एकमात्र ऐसा अस्पताल है, जहां सिर्फ संक्रमित बीमारियों का इलाज होता है. ऐसे अस्पताल में खटमल और चूहों का होना यहां के रखरखाव और सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं. अस्पताल के इंडोर विभाग में करीब 150 बेड हैं. आउटडोर में प्रतिदिन हजारों मरीज […]

कोलकाता : महानगर स्थित स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसीन राज्य का एकमात्र ऐसा अस्पताल है, जहां सिर्फ संक्रमित बीमारियों का इलाज होता है. ऐसे अस्पताल में खटमल और चूहों का होना यहां के रखरखाव और सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं. अस्पताल के इंडोर विभाग में करीब 150 बेड हैं. आउटडोर में प्रतिदिन हजारों मरीज आते हैं. अस्पताल के बेड में खटमलों का बसेरा है. मरीज अपने बेड पर सोने से भी डरते. वहीं वार्ड में चूहे उछल-कूद करते रहते हैं.
बता दें कि अस्पताल में क्रिटिकल केयर यूनिट समेत आठ वार्ड हैं. यहां डेंगू, मलेरिया, जापानी इंसेफलाइटिस, एचअाइवी, त्वचा समेत बैक्टिरिया से होनेवाली जानलेवा बीमारियों का इलाज होता है.
आइसीयू विभाग में भर्ती डेंगू पीड़िता अं‍किता घोष के पिता ने बताया कि खटमलों ने अस्पताल के इंडोर विभाग के मरीजों का जीना मुहाल कर रखा है. जो मरीज चलने-फिरने में समर्थ हैं वे कभी-कभार खटमलों से बचने के लिए रात में वार्ड के बरामदा में टहलते हुए नजर आते हैं. कुछ तो बरामदे में ही लेट जाते हैं. लेकिन जो मरीज बेड रेस्ट में हैं, उनके पास खटमलों से खून चुसवाने के अलावा कोई उपाय नहीं है.खटमल से छूटकारा पाना के लिए अस्पताल के प्रत्येक वार्ड में गुरुवार को कीटनाशक दवा एवं स्प्रे का छिड़काव किया गया. बेड से मरीजों को उतार कर उसमें स्प्रे मारा गया. कीटनाशक के छिड़काव के बाद मरीजों को खटमल से राहत मिलने की उम्मीद है.
खटमल ही नहीं अस्पताल के विभिन्न वार्ड में चूहों ने भी मरीजों, डॉक्टरों एवं नर्सों को परेशान कर रखा है. वार्ड की अलमारियों में रखी मरीजों की फाइल चूहे कुतर देते हैं. मरीजों के बिस्कुट, पावरोटी को नष्ट कर देते हैं. कई बार जाली लगाकर चूहों को पकड़ने की कोशिश की गयी, लेकिन सफलता नहीं मिली. आखिर में गुरुवार को चूहे मारने की दवा का छिड़काव किया गया. अब अस्पताल प्रबंधन को यह चिंता सता रही है कि यदि किसी कोने में जाकर चूहे मर गये तो दुर्गंध फैल सकती है.

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