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बढ़ती कीमत पर नियंत्रण के लिए बाजार पर नजर रखेगी सरकार, महंगाई के लिए बिचौलिये जिम्मेदार

कोलकाता: जरूरी चीजों की कीमतें इन दिनों आसमान को छू रही हैं. सब्जियों के दाम को तो जैसे पर लग गये हैं. प्याज एक बार फिर से रुलाने लगी है. टमाटर को छून से भी डर लगने लगा है. जरूरी सामग्रियों की कीमत में बेहताशा इजाफे को नियंत्रण में करने के लिए सरकार ने बाजारों […]

कोलकाता: जरूरी चीजों की कीमतें इन दिनों आसमान को छू रही हैं. सब्जियों के दाम को तो जैसे पर लग गये हैं. प्याज एक बार फिर से रुलाने लगी है. टमाटर को छून से भी डर लगने लगा है. जरूरी सामग्रियों की कीमत में बेहताशा इजाफे को नियंत्रण में करने के लिए सरकार ने बाजारों पर नजर रखने का फैसला किया है. सभी विभागों को हिदायत भी जारी कर दी गयी है. आसमान छूती कीमत के मुद्दे पर गुरुवार को नवान्न में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की बैठक हुई. बैठक में कृषि, मत्स्य, हॉर्टिकल्चर, विद्युत, कृषि विपणन समेत विभिन्न विभागों के मंत्री व वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए थे.
जानकारी के अनुसार बैठक में बाजारों पर लगातार नजर रखने का निर्णय लिया गया. इंफोर्समेंट व विजिलेंस समेत सभी संबंधित विभागों को इस संबंध में जरूरी निर्देश जारी कर दिया गया है.

बैठक में यह निष्कर्ष सामने आया कि थोक आैर खुदरा कीमत में जमीन आसमान का फर्क है. बिचौलिये स्थिति का फायदा उठा रहे हैं. कम कीमत में सामान खरीद कर काफी अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है. उदाहरण के रूप में प्याज की खरीदारी 18-20 रुपये प्रति किलो की दर से हो रही है, पर आम ग्राहकों को प्याज 40-50 रुपये प्रति किलो की कीमत से खरीदना पड़ रहा है. इसलिए खुदरा बाजार व कीमत पर विशेष नजर रखने का फैसला लिया गया है. मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को दाम को नियंत्रण में रखने के लिए सभी जरूरी व्यवस्था व उपाय किये जाने की हिदायत की है. इसके साथ ही सुफल बांग्ला के आैर अधिक स्टॉल खोलने का फैसला हुआ है. फिलहाल कोलकाता व राज्य के अन्य शहरों में सुफल बांग्ला के 50 स्टॉल हैं, जहां लोगों को ताजी सब्जियों समेत रोजमर्रा की जरूरी चीजें काफी किफायती कीमत पर मिल रही है.
बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि राज्य में जरूरत से जो अधिक आलू मौजूद है, उसे किसान व व्यवसायी दूसरे राज्यों अथवा देश में बेच सकते हैं. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान से जनवरी 2018 तक राज्य को खाद्य व बीच के लिए 36 लाख मैट्रिक टन आलू चाहिए. राज्य में उससे कहीं अधिक आलू मौजूद है. इस स्थिति में किसानों व व्यवसायियों को आठ लाख मैट्रिक टन आलू राज्य से बाहर बेचने की छूट दी गयी है.

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