कोलकाता: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह बार-बार आरोप लगाती हैं कि देश में इमरजेंसी चल रही है. केंद्र सरकार के तुगलकी आचरण का विरोध करने पर परेशान किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि बंगाल में सुपर इमरजेंसी का दौर है. यहां लोकतंत्र पूरी तरह खतरे में है. विरोधी दलों को तृणमूल कांग्रेस के गुंडे काबू में करना चाहते हैं. सफल नहीं होने पर पुलिस और प्रशासन को सामने लाया जाता है. पूरे प्रदेश में राजकता का माहौल है.
इससे एकमात्र भाजपा ही लोगों को बचा सकती है. यह बात ममता और उनकी पार्टी को पूरी तरह पता है. इसलिए वह अनाप-शनाप की बयानबाजी करती हैं, क्योंकि कांग्रेस और वामो ने बंगाल में दम तोड़ दिया है. एकमात्र भाजपा ही उन्हें टक्कर दे रही है. ऐसे में भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की अगुवाई में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का जत्था राज्य चुनाव आयोग के सामने विरोध प्रदर्शन करने पहुंचा था. इसमें शिशिर बाजोरिया, प्रदेश महासचिव देवश्री चौधरी समेत कई नेता शामिल थे. इनलोगों ने मांग की कि राज्य में होनेवाले नगरपालिका चुनाव में केंद्रीय बल की तैनाती हो, क्योंकि राज्य की पुलिस पर उन्हें यकिन नहीं है. पुलिस को सामने रख कर तृणमूल कांग्रेस के गुंडे भाजपा उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं पर हमला कर रहे हैं. आज आलम यह है कि भाजपा जीतने के लिए चुनाव लड़ रही है और वह चुनाव जीतेगी. इसे रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस लोकतंत्र का गला दबा रही है.
दिलीप घोष ने कहा कि बंगाल की जनता अब इस शासन से ऊब चुकी है और वह बदलाव चाहती है. यहां बदलाव होगा और यह नेक काम भाजपा ही करेगी. इसके लिए भाजपा तैयार है और वह जैसा को तैसा नीति के तहत काम कर रही है. उन्होंने पुलिस प्रशासन को भी सतर्क किया है. इस अवसर पर भाजपा के युवा नेता मानव शर्मा, कोलकाता के जोनल इंचार्ज गौतम चौधरी भाजपा के युवा नेता किशन झंवर और उत्तर कोलकाता के भाजपा अध्यक्ष दिनेश पांडे भी मौजूद रहे.
पहाड़ मुद्दे पर सरकार की वार्ता की पेशकश से भाजपा खुश
गोरखालैंड मुद्दे पर राज्य सरकार बातचीत के लिए तैयार है. विधानसभा में मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह फैसला सही है. भाजपा पहले से ही यह मामला बातचीत से सुलझाने के पक्ष में है. इसके लिए भाजपा भी तृणमूल कांग्रेस की तरह ही चाहती है कि आंदोलनकारी पहले हिंसा का रास्ता छोड़ें और बातचीत से मामले को सुलझायें. दिलीप घोष का कहना है कि खुद मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को हवा दी है, क्योंकि गोरखालैंड का आंदोलन एक तरह से शांत हो गया था. लेकिन ममता ने उसे भाषा के नाम पर जिंदा किया.
वहीं, ममता बनर्जी इस मुद्दे के लिए वाममोर्चा को जिम्मेदार ठहरा रही हैं. उनके मुताबिक उन्होंने कोई अध्यादेश नहीं लाया था, लेकिन इन लोगों ने अफवाह फैलाकर माहौल को गर्म कर दिया है. गौरखालैंड मुद्दे पर इनका स्टैंड शुरू से ही लोगों को बरगलानेवाला रहा है. राज्य सरकार बंगाल का बंटवारा किसी भी कीमत पर नहीं होने देगी. यह राज्य की घोषित नीति है, जबकि वहां हाल ही में हुए नगर निकायों के चुनावों में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को पता चल गया कि उनका जनाधार खिसक रहा है. इसलिए वह एक मुद्दे की तलाश में थे, जिसे लेकर अब वे फिर से हिंसा फैला सकें. इस मुद्दे को सिर्फ बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है.