प्रबंधन ने कहा कि उनके पास 3000 करोड़ हैं, जिसमें से मेडिक्लेम स्कीम पर 164 करोड़ एवं पेंशन पर 923 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इसके बाद कंपनी के पास लगभग 1900 करोड़ रुपये बचेंगे, जिससे कोल इंडिया श्रमिकों के वेतन में वृद्धि की जायेगी. इसके बाद श्रमिक यूनियनों के दबाव के बाद कोल इंडिया प्रबंधन ने तीन हजार करोड़ की राशि बढ़ा कर पांच हजार करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव दिया. इसके बावजूद श्रमिकों के वेतन में अधिकतम 18 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जबकि कोल इंडिया के श्रमिक संगठनों ने 29 प्रतिशत से अधिक वृद्धि की मांग की है.
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वेतन वृद्धि पर कोल इंडिया प्रबंधन व यूनियन में जिच
कोलकाता: कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के महानगर स्थित मुख्यालय में शुक्रवार से दो दिवसीय जेबीसीसीआइ-X की बैठक शुरू हुई. इसकी अध्यक्षता कोल इंडिया के चेयरमैन सुतीर्थ भट्टाचार्य ने की. बैठक में कोल इंडिया श्रमिकों के पेंशन, मेडिक्लेम जैसी सुविधाओं पर प्रबंधन और यूनियनों के बीच सहमति बन गयी. लेकिन वेतन समझौता पर बहस होते ही […]
कोलकाता: कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के महानगर स्थित मुख्यालय में शुक्रवार से दो दिवसीय जेबीसीसीआइ-X की बैठक शुरू हुई. इसकी अध्यक्षता कोल इंडिया के चेयरमैन सुतीर्थ भट्टाचार्य ने की. बैठक में कोल इंडिया श्रमिकों के पेंशन, मेडिक्लेम जैसी सुविधाओं पर प्रबंधन और यूनियनों के बीच सहमति बन गयी. लेकिन वेतन समझौता पर बहस होते ही प्रबंधन और यूनियन के बीच खींचतान शुरू हो गयी. वेतन में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव पेश करने से पहले प्रबंधन ने प्रजेंटेशन देना शुरू किया.
इस संबंध में बीएमएस के महासचिव डॉ बीके राय ने बताया कि हमलोग यह पढ़ने, सुनने नहीं आये हैं. पिछली बार श्रमिकों के वेतन में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी. साथ ही चार प्रतिशत इंसेंटिव भी दिया जाता है. इसलिए प्रबंधन अब इसके आगे से शुरू करे. डॉ राय के इस प्रस्ताव का सभी यूनियन के नेताओं ने एक स्वर में समर्थन किया.
गौरतलब है कि बैठक के बाद सभी यूनियन के नेताओं ने बैठक कर तय किया कि वह 18 प्रतिशत वेतन वृद्धि को कतई कबूल नहीं करेंगे. यदि प्रबंधन उनकी मांग नहीं मानता है तो विरोध किया जायेगा. कोल इंडिया प्रबंधन ने सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों की तरह कोल सेक्टर में भी वेतन का स्वरूप अपनाने का प्रस्ताव दिया. यूनियनों ने इसे खारिज करते हुए कहा कि पुराने वेतन ढांचा पर ही चलेंगे एवं इसी पर मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) की बात होगी.
बैठक में कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक, निदेशक तकनीक, निदेशक वित्त के अलावा सीएमडी सीसीएल एवं बीसीसीएल, एनसीएल, ईसीएल, डीपी ईसीएल एवं एनसीएल तथा यूनियन प्रतिनिधियों में डॉ बीके राय, रमेंद्र कुमार नाथूलाल, रामानंदन, लखन लाल महतो, आरसी सिंह, नाथूलाल पांडेय, डीडी रामानंदन सहित अन्य उपस्थित थे. पहले दिन की बैठक खत्म होने तक गतिरोध बरकरार है.
इन मुद्दों पर भी हुई बात
पेंशन पर पहले बनी सहमति को अंतिम रूप देते हुए प्रबंधन एवं कामगार 7%-7% अंशदान देंगे और यही प्रस्ताव बीओटी (बोर्ड ऑफ ट्रस्टी) को भेजा जाएगा. स्पेशल फीमेल वीआरएस पर काफी देर तक बहस हुई. प्रबंधन ने कहा कि मामले में अटर्नी जनरल की राय लेकर कार्रवाई करेंगे. कलर बलाइंडनेस के मुद्दे पर भी अटर्नी जनरल की राय ली जायेगी.
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