मरीज की यह स्थिति बड़ी विकट थी. प्राथमिक तौर पर हमें लगा कि मरीज को लिवर सिरोसिस हो गया है. पैनक्रियाइटिस के लक्षण भी नजर आ रहे थे. उन्होंने बताया कि इस तरह की नाजुक स्थिति में ऑपरेशन करना बहुत मुश्किल होता है खासतौर पर तब, जब मरीज सेप्सिस से पीड़ित हो. माइक्रोसर्जरी के जरिए भी इतनी बड़ी पित्त की थैली को निकालना काफी चुनौतिपूर्ण होता है. डॉ सेन ने बताया कि पित्त की थैली की सर्जरी में आमतौर पर 5-15 मिनट लगते हैं, लेकिन इस दुर्लभ सर्जरी को अंजाम देने में पूरे ढाई घंटे लगे. यह माइक्रोसर्जरी न केवल सफल रही, बल्कि जिस मरीज के बचने की संभावना ना के बराबर थी, उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है.
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मेडिका में पित्ताशय की चुनौतीपूर्ण सर्जरी
कोलकाता: चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन पिछले कई महीने से पश्चिम बंगाल में चिकित्सकीय लापरवाही के कई मामले सामने आये हैं. इससे चिकित्सकों की छवि धूमिल हो रही है. लेकिन एक बार फिर यह साबित हो गया है कि चिकित्सक ही धरती का भगवान है. जिसकी हल्की सी चूक मरीज की […]
कोलकाता: चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन पिछले कई महीने से पश्चिम बंगाल में चिकित्सकीय लापरवाही के कई मामले सामने आये हैं. इससे चिकित्सकों की छवि धूमिल हो रही है. लेकिन एक बार फिर यह साबित हो गया है कि चिकित्सक ही धरती का भगवान है. जिसकी हल्की सी चूक मरीज की जान ले सकती है या सटीक चिकित्सका से मौत के मुंह में जा चुके मरीज की जान बच सकती है. आपको बता दें कि महानगर के एक बड़े निजी अस्पताल में 52 वर्षीय एक महिला के शरीर से 27 सेंटीमीटर लंबा सड़ा हुआ पित्ताशय निकाला गया है. माइक्रो सर्जरी द्वारा इसे सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया है.
सर्जरी काफी जोखिम भरी थी. इस दौरान मरीज की जान भी जा सकती थी, लेकिन अस्पताल के डॉ सुद्धसत्वा सेन और उनकी टीम की सूझबूझ ने इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. यह जटिल सर्जरी महानगर के मेडिका सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हुई. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार इस तरह के मामलों में मरीज के बचने की संभावना बेहद कम होती है क्योंकि सर्जरी के बाद भी मरीज के शरीर में संक्रमण के फैलने की संभावना बनी रहती है. इससे उसकी मौत हो सकती है.मरीज हुगली जिले की रहनेवाली है. सर्जरी के बाद वह अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है. उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.
जानकारी के अनुसार मरीज को बुखार के साथ उल्टी, पेट में असहनीय दर्द व सूजन की शिकायत पर मेडिका में दाखिल कराया गया था. उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. मीता डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट के असंतुलन की समस्या से भी जूझ रही थी. अस्पताल के गैस्ट्रोइंटेसटाइनल एवं हेपैटो-पैनक्रिएटिको-बिलियरी सर्जरी के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ सुद्धसत्वा सेन की देखरेख में मरीज की चिकित्सा शुरू हुई. लीवर, पित्ताशय, पित्त वाहिनी और पेट के अंदर की स्थिति की सटिक जानकारी के लिए मरीज का सीइसीटी और एमआरसीपी स्कैन कराया गया. रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पथरी की वजह से मरीज की पित्त की थैली फूली हुई है, लिवर भी प्रभावित है. पैनक्रियाइटिस के साथ, उसकी छाती और पेट में तरल पदार्थ भर रहा था. मीता की सेहत में विशेष सुधार न होता देख डॉक्टर सेन व उनकी टीम ने सर्जरी करने का निणर्य लिया.
मेडिका ने मेरी मां की बचायी जान : मीता की लड़की कुसुमीता ने बताया कि उसकी मां बीमारी काफी गंभीर थी. इस स्थिति में दूसरे अस्पताल शायद ही उसे भरती लेते, लेकिन मेडिका ने उनकी मां को नया जीवन दिया है. इसके लिए उनका पूरा परिवार मेडिका प्रबंधन व डॉ सेन का शुक्रगुजार है.
काफी चुनौतीपूर्ण थी सर्जरी
डॉ. सुद्धसत्वा सेन ने बताया कि मीता दास की स्थिति बेहद नाजुक थी और वह कई बीमारियों से पीड़ित थी. इस स्थिति में ओपन सर्जरी की जगह लेप्रोस्कोपिक को विकल्प के रूप में चुना गया. जांच के दौरान हमने पाया कि मवाद से भरा और सड़ चुका पित्ताशय उसके दाहिने जांघ तक पहुंच गया था. यहां तक कि जगह ना होने की वजह से कई जगह से मुड़ा हुआ भी थी. पित्त की थैली में जगह-जगह छेद हो गया था, जिनसे रिस कर मवाद और पित्त पेट में आ रहा था.
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