कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस हर साल की तरह इस बार भी शहीद दिवस मनाने जा रही है. लेकिन सत्ता में आने के इतने दिनों के बाद भी रपट जमा होने के बावजूद उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. तृणमूल के बहिष्कृत सांसद बार – बार 21 जुलाई आयोग की रपट को सार्वजनिक करने की मांग करते आ रहे हैं. राज्य सरकार के पास आयोग की रपट जमा भी हो चुकी है. ऐसे में पार्टी के अंदर भी मांग उठने लगी थी, जिसे खुद मनीष गुप्त ने हवा दे दिया.
हाल ही में तृणमूल सांसद मनीष गुप्त ने सार्वजनिक मंच से कहा कि 21 जुलाई 1993 को जो नरसंहार हुआ वह एक साजिश के तहत हुआ है. मनीष के इस बयान से जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है. पार्टी की तरफ से उन्हे मुंह बंद रखने की हिदायत दी गयी है. संभावना है कि सरकार इस रपट को जल्द ही सार्वजनिक कर अपनी स्थित साफ करेगी. तृणमूल के बहिष्कृत सांसद कुणाल घोष के अलावा पार्टी के कई नेता यह जानने को उत्सुक थे कि आखिर रिपोर्ट में क्या है और क्यों नहीं उसे राज्य सरकार सार्वजनिक कर रही है.
खुद मनीष गुप्ता ने एक बयान में साफ कहा कि उस वक्त युवा कांग्रेस के खिलाफ एक गंभीर षणयंत्र के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया था. अपने बयान को जायज ठहराने के लिए मनीष ने साफ कहा कि सब कुछ माकपा के दो मंत्री की देखरेख में अंजाम दिया गया. खबर है कि मनीष के इस बयान से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेहद खफा हैं. उनकी नाराजगी को देखते हुए तृणमूल के दो हेवीवेट नेता मनीष को फोन कर मुंह बंद रखने की हिदायत दिए हैं. जानकारों के अनुसार, डैमेज कंट्रोल में लगी राज्य सरकार जल्द ही रिपोर्ट को सार्वजनिक करने वाली है. क्योंकि रपट में उल्लेखित है कि घटना के वक्त राइटर्स बिल्डिंग में बने पुलिस कंट्रोल रूम में माकपा के दो हेवीवेट मंत्री दिशा-निर्देश दे रहे थे.
तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार मनीष गुप्त जिस साजिश की बात कर रहे हैं वह यही है कि माकपा के मंत्रियों की देखरेख में लोगों की हत्या की साजिश रची गयी थी. जिसको अमलीजामा पहनाने के लिए पुलिस ने फायरिंग की. नवान्न सूत्रों के अनुसार न्यायिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे घटनाक्रम के दौरान राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव जैसे जिम्मेवार अधिकारियों को अंधकार में रखा गया था. लिहाजा इस घटना के लिए तत्कालीन गृह सचिव मनीष गुप्ता को किसी भी तरह से जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता.
इधर वाम विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती का कहना है कि वह लोग भी चाहते हैं कि सच्चाई सामने आये. इसके लिए जरूरी है कि मनीष गुप्ता को और बोलने दिया जाये. हालांकि शुरू से ही रपट को सार्वजनिक करने की मांग पर फेसबुक पर अभियान चलाने वाले तृणमूल के बहिष्कृत सांसद कुणाल घोष ने साफ कहा है कि 21 जुलाई के नरसंहार में शामिल लोग आज तृणमूल कांग्रेस के सत्ता की मलाई खा रहे हैं. लिहाजा तृणमूल के आम कार्यकर्ता यह जानना चाहते हैं कि उनका बलिदान क्या व्यर्थ हो गया है. किन वजहों से आज भी दोषी लोगों को सजा नहीं मिल रही है.
क्या है मामला : ममता बनर्जी 1993 को युवा कांग्रेस के बैनर तले राइटर्स अभियान का एलान किया था. उस वक्त तृणमूल सांसद मनीष गुप्ता राज्य के गृह सचिव थे. युवा कांग्रेस के इस अभियान पर पुलिस ने गोली चलायी थी, जिसमें 13 युवा कांग्रेस कार्यकर्ता मारे गये थे. कई घायल हुए थे. तब से लेकर आज तक हर साल ममता बनर्जी 21 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाती आ रही हैं. बाद में जब तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आयी तो जस्टिस सुशांत चट्टोपाध्याय के नेतृत्व में 21 जुलाई कमीशन का गठन कर जल्द रिपोर्ट देने को कहा. आयोग ने अपनी जांच के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, लेफ्ट प्रंट के चेयरमैन विमान बोस समेत सभी पक्षों का बयान रिकार्ड किया. इसके बाद उसने अपनी रपट राज्य सरकार को सौंप दी.