23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

डॉक्यूमेंट्री विवाद: ममता पर कुणाल ने लगाया आरोप, चलायी थी परिवर्तन फिल्म पर कैंची

कोलकाता: अमर्त्य सेन पर बने वृत्त चित्र को लेकर चल रहे विवाद में अब तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष भी कूद पड़े हैं. अमर्त्य सेन के वृत्तचित्र ‘द आर्ग्यूमेनटेटिव इंडिया’ में चार शब्दों पर आपत्ति जताते हुए सेंसर बोर्ड ने कैंची चला दी है. सेंसर बोर्ड ने इन शब्दों से ध्वनि हटा देने […]

कोलकाता: अमर्त्य सेन पर बने वृत्त चित्र को लेकर चल रहे विवाद में अब तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष भी कूद पड़े हैं. अमर्त्य सेन के वृत्तचित्र ‘द आर्ग्यूमेनटेटिव इंडिया’ में चार शब्दों पर आपत्ति जताते हुए सेंसर बोर्ड ने कैंची चला दी है. सेंसर बोर्ड ने इन शब्दों से ध्वनि हटा देने यानी म्यूट करने की बात कही है. अगर र्निदेशक ऐसा करते हैं, तो ही सेंसर बोर्ड फिल्म को रिलीज करने की मंजूरी देगा. फिल्म बनानेवाले र्निदेशक सुमन घोष ने ऐसा करने से मना कर दिया है.
इस पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए ममता बनर्जी ने ट्वीट कर अचरज जताते हुए कहा है कि विपक्ष द्वारा हर किसी की आवाज को दबाया जा रहा है. अमर्त्य सेन जैसे मशहूर अर्थशास्त्री और नोबल पुरस्कार विजेता जब निष्पक्ष रूप से अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं, तो फिर आम लोग कैसे कर पायेंगे. ममता के इस ट्वीट पर खिल्ली उठाते हुए उनकी की ही पार्टी के निलंबित सासंद कुणाल घोष ने फेसबुक पर पोस्ट कर कहा कि आज ममता बनर्जी अभिव्यक्ति की आजादी की बात कर रही हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव के पहले परिवर्तन नाम की फिल्म पर सेंसर बोर्ड के पहले खुद ममता ही सुपर सेंसर बोर्ड बनकर कैंची चला दी थी . इस वजह से फिल्म अपना दम तोड़ दी थी और फिल्म के निर्माताओं को काफी मानसिक और आर्थिक हानि उठानी पड़ी थी. अपने पोस्ट में ममता पर सीधे सवाल उठाते हुए कुणाल ने कहा कि आज अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई देकर ट्वीट करना ममता के लिए कितना जायज है. क्योंकि वे खुद इस तरह की हरकत को अंजाम देना अपनी फितरत में शामिल कर चुकी हैं.
2011 में बनी थी परिवर्तन फिल्म
अपने पोस्ट में कुणाल लिखते हैं कि सांसद शताब्दी राय ममता की सहमति से ही साल 2011 में परिवर्तन नामक फिल्म की थी. ममता की तरह ही साधारण साड़ी और हवाई चप्पल में विरोधी दल की नेत्री का अभिनय उन्होंने किया था. फिल्म को लेकर लोग काफी उत्साहित थे. सबको उम्मीद थी कि चुनाव में इसका भरपूर फायदा मिलेगा. कुणाल घोष ने लिखा कि ममता अपने कान से देखनेवाली आदत की वजह से इस फिल्म को काफी नुकसान पहुंचा. सेंसर बोर्ड में उस वक्त ममता के करीबी और चहेती श्रमिक नेत्री, जो अब सांसद है और एक युवा नेता जो अब मंत्री है, वे ममता को बताये कि इस फिल्म के मार्फत शताब्दी राय आपकी नकल कर राजनीतिक फायदा उठाना चाहती हैं. जिससे उनका कद बढ़ जायेगा. कुणाल के पोस्ट के अनुसार अपने चहेतों से यह सुनने के बाद उखड़ गयीं और वह बिना फिल्म देखे ही, परिर्वतन फिल्म के खिलाफ हो गयी. खुद शताब्दी राय और फिल्म के निर्माता और निर्देशक ममता से गुजारिश करते रहे कि ममता एक बार फिल्म देख लें. लेकिन ममता ने वह फिल्म नहीं देखी. बाद में कई दृश्यों को परिवर्तन करने का निर्देश दिया, जिसे मानकर फिर से शूटिंग हुई और काटछांट की गयी. किसी तरह फिल्म बाद में रिलीज हुई, लेकिन फिल्म की आत्मा मर गयी थी. इसकी वजह से फिल्म पीट गयी. निर्माता को आर्थिक और मानसिक परेशान हुई, सो अलग.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें