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दार्जीलिंग में बंद से चाय उद्योग बुरी तरह प्रभावित

कोलकाता. दार्जीलिंग समस्या के समाधान के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने त्रिपक्षीय बैठक बुलाने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को केंद्र, राज्य व गोजमुमो के प्रतिनिधि आपस में बैठ कर सुलझा सकते हैं. वहीं, राज्य सरकार द्वारा गुरुवार को बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में प्रदेश भाजपा के प्रतिनिधि शामिल नहीं […]

कोलकाता. दार्जीलिंग समस्या के समाधान के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने त्रिपक्षीय बैठक बुलाने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को केंद्र, राज्य व गोजमुमो के प्रतिनिधि आपस में बैठ कर सुलझा सकते हैं. वहीं, राज्य सरकार द्वारा गुरुवार को बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में प्रदेश भाजपा के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दे पर राज्य स्तर पर बैठक होनी चाहिए, ना कि जिला स्तर पर. साथ ही दार्जीलिंग समस्या के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ही दार्जीलिंग मुद्दे का समाधान नहीं चाहती है, इसलिए वहां समस्या बरकरार है. पहाड़ पर कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. भ्रष्टाचार तृणमूल कांग्रेस के अंदर है. हालांकि, उन्होंने जीटीए के ऑडिट का समर्थन किया, लेकिन ऑडिट में हुई देरी पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि आखिर जीटीए के ऑडिट करने में इतनी देरी क्यों की गयी.

जीटीए का कार्यकाल समाप्त होनेवाला है और ऐसे समय में जीटीए का ऑडिट क्यों किया जा रहा. वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विदेश दौरे पर कटाक्ष करते हुए श्री घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री का विदेश दौरा राज्य की जनता के आंख में धूल झोंकना है. इससे पहले भी वह जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर सहित कई देशों के दौरे पर गयी थी. उन देशों से कितने उद्योग बंगाल में आये हैं, कितना निवेश हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रतियोगिता करने के लिए वह विदेश दौरे पर जा रही हैं, लेकिन चाहे वह जितना भी भ्रमण कर लें, यहां कोई उद्योग नहीं ला पायेंगी.

दार्जीलिंग समस्या को लेकर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के संबंध में पूछे जाने पर श्री घोष ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ अगर राज्य सरकार ही सहयोगिता नहीं करेगी, तो समस्या का समाधान होगा कैसे. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश भाजपा इस मुद्दे पर कुछ नहीं करेगी. जिन लोगों ने रुपये देकर वहां संघर्ष कराया, पहाड़ पर आग लगायी है, वही लोग इस आग को बुझायेंगे. जब जीटीए का गठन हुआ था तो तीन पक्षों ने इस पर हस्ताक्षर किया था, इसलिए अब समस्या समाधान के लिए तीन पक्षों को ही आपस में बैठक करनी चाहिए.

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