उसे यहां एक प्राइवेट अस्पताल में भरती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. परिजनों के अनुसार शिशु एक विरल किस्म की हर्ट डिजिज से ग्रसित थी. इस कारण उसके हर्ट में ठीक तरह से रक्त का प्रवाह नहीं हो पा रहा था. उसकी चिकित्सा पहले ओड़िशा में शुरू हुई.
बेहतर इलाज के लिए उसे पश्चिम बंगाल रेफर किया गया. शिशु के परिजनों ने इंटरनेट के जरिये अस्पताल को सर्च किया, लेकिन पश्चिम बंगाल पहुंचने के लिए उन्हें वेंटिलेशन की जरूरत थी. शिशु को लगभग सात घंटे की यात्रा के बाद हावड़ा नारायणा अस्पताल में शनिवार को भरती कराया गया, जहां उसकी सफल सर्जरी हुई. सर्जरी के बाद उसकी सेहत में सुधार हो रहा था कि अचानक रविवार सुबह 11 बजे के बाद शिशु की सेहत नाजुक होती गयी. बाद में उसे वेंटिलेशन पर रखा गया, लेकिन डॉक्टरों की लाख कोशिश के बाद उसे बचाया नहीं जा सका.
दोपहर लगभग एक बजे शिशु ने अपने माता-पिता को छोड़ अंतिम सांस ली. उसके माता-पिता ने अपनी संतान की आखें सहित अन्य अंगों को दान कराने की इच्छा व्यक्त की. हालांकि जांच में पता चला कि बच्ची की केवल आंख ही ली जा सकती है. उसकी आंखों को बैरकपुर के उक्त आई बैंक को दान कर दिया गया है. उसके माता-पिता ने अपनी संतान की आखों को दान इसलिए किया है कि दूसरे किसी शिशु को एक नया जीवन मिले.