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रिसड़ा में महाश्रमणजी का मंगल प्रवेश

कोलकाता : कोलकाता के प्रवेश द्वार रिसड़ा उपनगर में हजारों लोगों की उपस्थिति में आचार्यश्री महाश्रमणजी का मंगल प्रवेश रविवार को तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी का कोलकाता की सीमारेखा रिसड़ा में भव्य मंगल प्रवेश समारोह आयोजित हुआ. कीर्तिधर ज्योचिपुंज पूज्य गुरुदेव हजारों श्रावकों की भव्य रैली के साथ हैं. हेस्टिंग जूट […]

कोलकाता : कोलकाता के प्रवेश द्वार रिसड़ा उपनगर में हजारों लोगों की उपस्थिति में आचार्यश्री महाश्रमणजी का मंगल प्रवेश रविवार को तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी का कोलकाता की सीमारेखा रिसड़ा में भव्य मंगल प्रवेश समारोह आयोजित हुआ. कीर्तिधर ज्योचिपुंज पूज्य गुरुदेव हजारों श्रावकों की भव्य रैली के साथ हैं. हेस्टिंग जूट मिल कम्पाउंड में लगभग चार हजार से भी ज्यादा श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में जय-जय ज्योति चरण, जय-जय महाश्रमण के उद्घोष से चारों दिशाएं गुंजायमान हो उठीं, पूज्यप्रवर से अहिंसा यात्रा से जैन जैनेतर सभी वर्गों में उत्साह का सैलाब नजर आ रहा था.
जगह-जगह अभिवंदना में द्वार बनाये गये गीत व नारों के स्वरनाद के साथ महातपस्वी शांति दूत आचार्यप्रवर अमृत वाहिनी के साथ कोलकाता की सीमा रेखा में प्रवेश किया. दिल्ली के यमुना तट से प्रारंभ हुई अहिंसा यात्रा बंगाल के हुगली नदी तट पर पहुंची इन गौरवशाली पलों का साक्षी बना कोलकाता का समाज. चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कमल दुगड़ व पदाधिकारियों ने आचार्यप्रवर के पदार्पण के समय कोलकाता की भूमि पर भावभरा स्वागत और अभिवंदना की. अष्टमंगल व मंगल भावनाओं के प्रतीक के साथ कन्याओं व महिलाओं द्वारा आचार्य प्रवर कोलकाता चतुर्मास के लिए शुभकामना समर्पित की.
रिसड़ा सभा के अध्यक्ष केसरीचंद सुराणा ने रिसड़ा उपनगर की तरफ से अभिनंदन किया. रिसड़ा महिला मंडल की बहनों के द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति की गयी. हेस्टिग जूट मिल के प्रांगण की तरफ से संजय काजरिया ने स्वागत किया. साध्वी विश्रुत विभाजी ने कार्यक्रम के प्रारंभ में विशेष वक्तव्य दिया. महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी ने अपनी जन्म भूमि मेें पूज्यप्रवर का स्वागत किया.
साध्वी शशी प्रभाजी, साध्वी कुन्थूश्रीजी साध्वी पियूष प्रभाजी, साध्वी गुप्तीप्रभाजी ने आर्यवर का भावभरा अभिवंदन किया. साध्वीवृन्द ने गीत की प्रस्तुति दी. ज्ञानशाला के बच्चों ने गुरुदेव के श्रीचरणों में प्रभावी कार्यक्रम प्रस्तुत किया. सैकड़ों की संख्या में रिसड़ा वासियों ने पूज्यप्रवर के द्वारा सम्यकत्व दीक्षा ग्रहण की. आचार्य प्रवर ने फरमाया कि राग-द्वेष कर्मबीज हैं. दुख मुक्ति के लिए मोह कर्म को विनिष्ट करने का प्रयास करें.
मनोज्ञ व अमनोज्ञ वस्तु प्राप्त होने पर भी समता में रहें. महाश्रमणी जी ने फरमाया कि आत्मसुद्धि का साधन धर्म है. उपासना परम्परा का अपना महत्व है परन्तु धर्म व्यक्ति के भीतर होता है, वह स्वयं को उजागर करना होगा. वास्तव में रिसड़ा उपनगर का कार्यक्रम गौरवशाली उत्सव के रूप में समायोजित हुआ. उपरोक्त जानकारी प्रवास व्यवस्था समिति की महामंत्री सूरज बरड़िया ने दी.

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