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North Kolkata News: चौरंगी, जोड़ासांको और श्यामपुकुर में होगी हिंदीभाषी मतदाताओं की निर्णायक भूमिका

North Kolkata News: लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम को देखें, तो तृणमूल कांग्रेस को यहां मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कड़ी टक्कर मिली. इन सीटों को बचाने के लिए तृणमूल को एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा.

कोलकाता : बंगाल विधानसभा चुनाव के आठवें व अंतिम चरण में 29 अप्रैल को कोलकाता की तीन प्रमुख सीटों चौरंगी, जोड़ासांको व श्यामपुकुर पर भी मतदान होगा. इन तीनों सीटों पर फिलहाल सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. इस बार इन सीटों पर तृणमूल की राह आसान नहीं है.

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम को देखें, तो तृणमूल कांग्रेस को यहां मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कड़ी टक्कर मिली. इन सीटों को बचाने के लिए तृणमूल को एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा. इन तीनों सीटों पर हिंदीभाषी मतदाता ही उम्मीदवारों की जीत-हार तय करते हैं. खासकर जोड़ासांको विधानसभा सीट पर.

लंबे समय तक हिंदीभाषी विधायकों का यहां वर्चस्व रहा. इस चुनाव में बार-बार स्थानीय यानी भीतरी बनाम बाहरी का मुद्दा तृणमूल ने उठाया है, जिसका उसे नुकसान भी हो सकता है.

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यहां दशकों से बड़ी संख्या में प्रवासी हिंदीभाषी रहते हैं, जिनके मन में इस मुद्दे से कहीं न कहीं रोष है और दबी जुबान से प्रवासी हिंदीभाषी इस बार बदलाव की बात कर रहे हैं. बाहरी का मुद्दा भाजपा ने भी जोर-शोर से उठाया है और इसके जरिये प्रवासियों को अपनी ओर करने की कोशिश की है. ऐसे में तृणमूल की राह पहले जैसी आसान नहीं रहेगी.

जोड़ासांको में कांटे की टक्कर
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जोड़ासांको सीट, राज्य के साहित्य, कला व शिक्षा के केंद्र के रूप में विख्यात है. इस सीट के अधीन कोलकाता का बड़ाबाजार इलाका भी आता है, जो बंगाल का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र है. यह हिंदीभाषी बहुल क्षेत्र है. एक समय कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट पर 2001 में तृणमूल ने कब्जा जमाया था.

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लगातार दो बार तृणमूल के टिकट पर निर्वाचित हुईं निवर्तमान विधायक स्मिता बख्शी की जगह इस बार तृणमूल ने विवेक गुप्ता (जो कि राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं) को उम्मीदवार बनाया है. उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी मीना देवी पुरोहित से है. मीना चार बार पार्षद और कोलकाता नगर निगम की डिप्टी मेयर रही हैं.

चौरंगी में भी जोरदार लड़ाई
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चौरंगी विधानसभा क्षेत्र की बात करें, तो यहां 2006 से तृणमूल का कब्जा है. 2014 में हुए उपचुनाव व 2016 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से जीतती आ रहीं निवर्तमान विधायक नयना बंद्योपाध्याय एक बार फिर मैदान में हैं. इस बार नयना को कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है.

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नयना बंद्योपाध्याय लोकसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता व उत्तर कोलकाता से सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय की पत्नी हैं. नयना को यहां भाजपा प्रत्याशी देवब्रत माजी और संयुक्त मोर्चा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार संतोष पाठक से बड़ी चुनौती मिल रही है. संतोष पाठक कई बार पार्षद रहे हैं और इस क्षेत्र में उनकी अच्छी पैठ है.

श्यामपुकुर में भी राह नहीं आसान
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श्यामपुकुर विधानसभा सीट पर वर्ष 2011 से तृणमूल का कब्जा है. 2011 व 2016 में यहां से डॉ शशि पांजा जीतीं, जो राज्य की महिला व शिशु कल्याण मंत्री भी हैं. डॉ पांजा एक बार फिर तृणमूल की ओर से मैदान में हैं. वहीं, भाजपा ने यहां से संदीपन विश्वास को प्रत्याशी बनाया है. डॉ पांजा की हैट्रिक को रोकने के लिए भाजपा ने भी ताकत झोंक रखी है.

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Posted By : Mithilesh Jha

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