32.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर पड़ी डोनाल्ड ट्रंप की नजर, बदलेगी पश्चिम बंगाल के किसानों की किस्मत

donald trump's eyes on hydroxychloroquine will change the fortunes of farmers of west bengal कोलकाता : हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर पड़ने के बाद पश्चिम बंगाल के किसानों को उम्मीद है कि उनकी कुनैन की खेती उनकी किस्मत बदल सकता है. ट्रंप द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर जोर दिये जाने के बाद दार्जीलिंग की पहाड़ियों में सिनकोना पेड़ों की बागवानी करने वाले किसानों को कुनैन की मांग बढ़ने की भी आशा है.

कोलकाता : हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर पड़ने के बाद पश्चिम बंगाल के किसानों को उम्मीद है कि उनकी कुनैन की खेती उनकी किस्मत बदल सकता है. ट्रंप द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर जोर दिये जाने के बाद दार्जीलिंग की पहाड़ियों में सिनकोना पेड़ों की बागवानी करने वाले किसानों को कुनैन की मांग बढ़ने की भी आशा है.

Also Read: Coronavirus Lockdown: ममता बनर्जी ने दी चाय बागानों को खोलने की मंजूरी

दरअसल, मलेरिया के प्रभावी इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के अलावा कुनैन की गोलियों का उपयोग किया जाता है, जो सिनकोना पेड़ों की छाल से बनती हैं. दार्जीलिंग की पहाड़ियों में 1862 में सिनकोना की बागवानी शुरू हुई और दशकों तक फूलती-फलती रही, क्योंकि देश में मलेरिया के मरीजों की संख्या में कुछ खास कमी नहीं आयी और न ही इस दवा की मांग में.

विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 में भारत की आधी आबादी (69.8 करोड़ लोग) को मलेरिया होने का खतरा था. हाल-फिलहाल के वर्षों में सिनकोना की बागवानी करने वाले किसानों को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि कुनैन की गोलियों का सिंथेटिक तरीके से उत्पादन होने लगा.

Also Read: लॉकेट चटर्जी का ममता पर आरोप, कोरोना मामले को छुपा रही हैं मुख्यमंत्री, बिगड़ेंगे हालात

पश्चिम बंगाल में सिनकोना बागवानी के निदेशक सैम्यूएल रॉय ने कहा, ‘कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मलेरिया की दवाओं की मांग बढ़ी है और इससे दार्जीलिंग में सिनकोना की बागवानी भी बढ़ेगी. वर्षों की निराशा के बाद हमें आशा है कि व्यापार में सुधार आयेगा.’

उन्होंने बताया कि दवा बनाने वाली कंपनियां हालांकि अभी भी सिनकोना पेड़ों की छाल ई-नीलामी के जरिये खरीदतीं हैं, क्योंकि इसका उपयोग अन्य कई दवाओं के निर्माण में भी होता है. उन्होंने माना कि अब पहले जैसी बात नहीं रही. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की बढ़ती मांग की पृष्ठभूमि में श्री रॉय ने कहा कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एक सिंथेटिक अणु है, जो क्लोरोक्वीन से बनता है और यह रासायनिक तरीके से तैयार कुनैन है.

Also Read: जब पार्षद खुद क्षेत्र को सैनेटाइज करने निकले तो लोगों ने अपने घर व आस-पास की सफाई पर दिया ध्यान

उन्होंने बताया कि कुनैन की गोलियां सिनकोना पेड़ों की छाल से तैयार प्राकृतिक सत्व हैं. यह पूछने पर कि उन्हें ऐसा क्यों लग रहा है कि व्यापार बेहतर होगा, श्री रॉय ने कहा, ‘मलेरिया की दवाओं की बढ़ती मांग को देखकर ऐसा लगता है कि सिनकोना पेड़ों की छाल से कुनैन का प्राकृतिक उत्पादन बढ़ेगा.’

उन्होंने बताया, ‘मलेरिया की दवाओं की मांग बढ़ने के बाद मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश ने हमसे सिनकोना पेड़ों की सूखी छाल के बारे में सूचना मांगी है. हमें आशा है कि प्राकृतिक कुनैन लाभकारी होगा.’ श्री रॉय ने बताया कि सिनकोना की बागवानी दार्जीलिंग और कलिम्पोंग में होती है.

Also Read: जमात से जुड़े सवाल पर बिफरी ममता कहा, कम्‍युनल सवाल मत पूछिए

श्री रॉय ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मलेरिया-रोधी दवाओं की मांग बढ़ने के कारण दार्जीलिंग में सिनकोना की खेती में वृद्धि होगी. हम सालों की निराशा के बाद अच्छे कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं.’

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें