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सोमेन के उत्तराधिकारी की तलाश में कांग्रेस, कौन बनेगा बंगाल प्रदेश अध्यक्ष : अधीर रंजन चौधरी, प्रदीप भट्टाचार्य या अब्दुल मन्नान

कोलकाता : पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा के निधन से पार्टी में नेतृत्व का संकट उत्पन्न हो गया है. अब पार्टी को एक ऐसे नेता की जरूरत उत्पन्न हो गयी है, जो अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूती दे सके. इस पद के लिए दौड़ में जो तीन नेता हैं, उनमें राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान शामिल हैं. भट्टाचार्य और चौधरी दोनों ने पूर्व में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में काम किया है.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा के निधन से पार्टी में नेतृत्व का संकट उत्पन्न हो गया है. अब पार्टी को एक ऐसे नेता की जरूरत उत्पन्न हो गयी है, जो अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूती दे सके.

तीन बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सोमेन मित्रा का बृहस्पतिवार को कोलकाता के एक अस्पताल में निधन हो गया. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी कार्यकर्ताओं में ऐसे युवा नेताओं की कमी है, जिन पर पार्टी दांव खेल सके. इसलिए पार्टी को अपने पुराने नेताओं पर ही निर्भर होना पड़ेगा.

इस पद के लिए दौड़ में जो तीन नेता हैं, उनमें राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान शामिल हैं. भट्टाचार्य और चौधरी दोनों ने पूर्व में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में काम किया है.

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पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘इसकी उम्मीद नहीं है कि अधीर रंजन चौधरी राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालेंगे, क्योंकि वह पहले से ही लोकसभा में एक बहुत महत्वपूर्ण पद पर हैं. अब्दुल मन्नान और प्रदीप भट्टाचार्य दो संभावित विकल्प हैं. राज्यसभा सदस्य भट्टाचार्य को इस मामले में थोड़ी बढ़त हासिल है, क्योंकि वह पूर्व में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं. देखते हैं कि क्या होता है.’

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पश्चिम बंगाल के प्रभारी गौरव गोगोई बृहस्पतिवार की रात को यहां पहुंचे. श्री गोगोई द्वारा इस मामले पर राज्य के नेताओं के साथ बैठक करने की संभावना है. कांग्रेस नेता ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘पार्टी की बंगाल इकाई के पास अतीत में अच्छे नेताओं की कोई कमी नहीं थी. हालांकि, अब संगठन में ऐसे युवा नेता नहीं हैं, जिन्हें प्रदेश इकाई का नेतृत्व दिया जा सके.’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ज्यादातर ऐसे नेता पिछले दो दशकों में पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में चले गये हैं, जिन्हें उनके संगठनात्मक क्षमता और भाषण संबंधी कौशल के लिए जाना जाता था.

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पार्टी की बंगाल इकाई के पास अतीत में अच्छे नेताओं की कोई कमी नहीं थी. हालांकि, अब संगठन में ऐसे युवा नेता नहीं हैं, जिन्हें प्रदेश इकाई का नेतृत्व दिया जा सके.
एक कांग्रेस नेता

सोमेन मित्रा के नेतृत्व में कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबले के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम मोर्चा के साथ गठबंधन किया था. सोमेन मित्रा का निधन ऐसे समय में हुआ है, जब पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ राज्य में एक तीसरा विकल्प बनाने का प्रयास कर रही थी.

इसकी उम्मीद नहीं है कि अधीर रंजन चौधरी राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालेंगे, क्योंकि वह पहले से ही लोकसभा में एक बहुत महत्वपूर्ण पद पर हैं. अब्दुल मन्नान और प्रदीप भट्टाचार्य दो संभावित विकल्प हैं. राज्यसभा सदस्य भट्टाचार्य को इस मामले में थोड़ी बढ़त हासिल है, क्योंकि वह पूर्व में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं. देखते हैं कि क्या होता है.
सीनियर कांग्रेस लीडर

Posted By : Mithilesh Jha

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