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अंधविश्वास की बेड़ियों में सिसक रही प्रगति

आनंद कुमार सिंह, कोलकाता : डिजिटल एज में जब पेमेंट, खरीदारी और यहां तक कि डॉक्टरी सलाह भी ऑनलाइन उपलब्ध है, उस वक्त हमारे इर्द-गिर्द ऐसे भी लोग हैं जो जादू -टोना, झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र में यकीन करते हैं. अंधविश्वास की उनकी बेड़ियां न केवल उनके विकास में बाधक हैं बल्कि कई बार यह मौत का […]

आनंद कुमार सिंह, कोलकाता : डिजिटल एज में जब पेमेंट, खरीदारी और यहां तक कि डॉक्टरी सलाह भी ऑनलाइन उपलब्ध है, उस वक्त हमारे इर्द-गिर्द ऐसे भी लोग हैं जो जादू -टोना, झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र में यकीन करते हैं. अंधविश्वास की उनकी बेड़ियां न केवल उनके विकास में बाधक हैं बल्कि कई बार यह मौत का कारण भी बन जाती हैं.

शनिवार को मालदा के गाजोल में बीमार बच्चों को डॉक्टर की बजाय उनका झाड़-फूंक करना, दो बच्चों की मौत का कारण बना. दक्षिण 24 परगना के जीवनतला में भी पानी में डूबने वाले बच्चे को झाड़-फूंक के जरिये स्वस्थ करने की कोशिश असफल रही. हालिया कुछ घटनाओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि अंधविश्वास, केवल विकास से दूर ग्रामीण इलाकों की कहानी नहीं, बल्कि कई बार यह पढ़े-लिखे लोगों को भी अपनी जकड़ में ले लेता है.
स्कूलों में कई बार परेशानी का सबब नहीं है भूत की अफवाह
वर्ष 2017: बांकुड़ा जिले के कोतुलपुर स्थित मिर्जापुर हाइस्कूल में वर्ष 2017 के अगस्त महीने में अजीबोगरीब घटनाएं हुईं. स्कूल की छात्राओं में यह विश्वास बैठ गया कि स्कूल के शौचालय में भूत है. भूत देखने का दावा करते हुए 20 छात्राएं बेहोश हो गयी थीं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. बाद में पता चला कि एक ओझा ने अपना उल्लू सीधा करने के लिए यह अफवाह फैलायी थी. स्कूल प्रबंधन की ओर से थाने में शिकायत दर्ज करायी गयी. ओझा को गिरफ्तार किया गया.
वर्ष 2019: पुरुलिया जिले के बाघमुंडी स्थित धनूडी हाइस्कूल में वर्ष 2019 में जुलाई महीने में स्कूल की कुछ छात्राओं में ‘देवी’ आने की अफवाह फैल गयी. स्कूल की चार-पांच छात्राओं को अजीबोगरीब हरकतें करते देखा गया. बाद में उनकी चिकित्सा पुरुलिया जिला अस्पताल में भी की गयी. हालांकि एक बार फिर यह पाया गया कि जानबूझकर यह अफवाह फैलायी गयी थी.
वर्ष 2019: हुगली के सिंगूर के हरिपाल स्थित एक स्कूल में भूतिया शक्तियों से निपटने के लिए बकायदा यज्ञ का आयोजन किया जाना था. बताया जाता है कि इसके लिए स्थानीय एक तांत्रिक से भी 50 हजार रुपये में यज्ञ कराने के लिए स्कूल ने बात कर ली थी. हालांकि विज्ञान मंच के हस्तक्षेप से ऐसा न हो सका.
मंडे मेगा स्टोरी
क्या कहता है कानून
ड्रग्स एंड मैजिक रेमीडीज (ऑब्जेक्शनल एडवर्टिजमेंट) एक्ट 1954 तथा द ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940(अमेंडमेंट्स 2009) के मुताबिक अलौकिक उपायों से चिकित्सा करने का दावा करना तथा उसका विज्ञापन देना अवैध और दंडनीय है.
जानकारों के मुताबिक अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान नहीं है. इसलिए इसपर अंकुश लगाना मुश्किल है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा परिसेवा बेहतर न होने की वजह से लोगों को ओझा-तांत्रिकों की शरण में जाते देखा जाता है. इस दिशा में लगातार जागरूकता फैलाने की जरूरत महसूस की जाती है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति के अध्यक्ष प्रबीर घोष कहते हैं कि अधिकांश मामलों में भूत-प्रेत होने की अफवाह जानबूझकर फैलायी जाती है. देखते ही देखते यह ‘मास हिस्टीरिया’ का रूप ले लेता है. लोग इस हिस्टीरिया से संक्रमित होने लगते हैं व इसपर यकीन करने लगते हैं. उनकी समिति ने कई बार स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों की काउंसिलिंग की है.

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