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बहुमत है, तो डराने वाली राजनीति नहीं करें, CAA में न हो धर्म का जिक्र : चंद्र बोस

अजय विद्यार्थी कोलकाता : बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हो रहे विरोध के बीच कहा कि इस कानून में धर्म का उल्लेख नहीं होना चाहिए. पीड़ित सभी लोगों के लिए नागरिकता देने का प्रावधान हो. प्रभात खबर से बातचीत […]

अजय विद्यार्थी

कोलकाता : बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हो रहे विरोध के बीच कहा कि इस कानून में धर्म का उल्लेख नहीं होना चाहिए. पीड़ित सभी लोगों के लिए नागरिकता देने का प्रावधान हो.

प्रभात खबर से बातचीत करते हुए श्री बोस ने कहा, ‘आप यह कैसे साबित करेंगे कि 30 साल पहले कोई हिंदू बांग्लादेश से आया था और वह वहां प्रताड़ना का शिकार हुआ था. मेरी मां का जन्म बांग्लादेश के बरीशाल में हुआ था. उनके पासपोर्ट में जन्म स्थान बरीशाल लिखा हुआ है. उनकी कोलकाता में शादी हुई और वह कोलकाता आ गयीं. उन लोगों की बांग्लादेश में काफी संपत्ति थी, लेकिन कुछ भी नहीं मिला.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को सुझाव दिया है कि थोड़े से संशोधन के साथ विपक्ष के पूरे अभियान को ठप किया जा सकता है. हमें विशेष रूप से यह बताने की जरूरत है कि यह अत्याचार झेल रहे अल्पसंख्यकों के लिए है, हमें किसी धर्म का उल्लेख नहीं करना चाहिए. हमें अपना नजरिया बदलना होगा.’

श्री बोस ने कहा कि पाकिस्तान में भी अरब, शिया व बलूच हैं, जो अत्याचार के शिकार हैं. यदि हम पीड़ित हिंदू को नागरिकता दे सकते हैं, तो फिर मुस्लिम को क्यों नहीं. प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी.

श्री बोस ने कहा कि आप यह कैसे पता करेंगे कि कितने बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं. पहले इसकी पहचान होनी चाहिए. उसके बाद उसे बाहर निकालने की बात होनी चाहिए. यदि कोई नागरिक नहीं है, तो अमेरिका में भी अवैध रूप से प्रवेश करने वालों को बाहर निकाला जाता है, लेकिन उसका एक सिस्टम होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के फायदों के बारे में बताया जाना चाहिए, न कि सिर्फ इसलिए कि आज हमारे पास संख्या है, हम डराने की राजनीति करें. हम ऐसा नहीं कर सकते. उल्लेखनीय है कि चंद्र बोस लगातार भाजपा सरकार के निर्णयों पर सवाल उठाते रहे हैं.

पिछले महीने उन्होंने ट्वीट किया था कि भारत एक ऐसा देश है, जो सभी धर्मों और समुदायों के लिए खुला है. अगर नागरिकता संशोधन कानून किसी धर्म से जुड़ा नहीं है, तो इसमें केवल हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन ही क्यों शामिल हैं. उनकी तरह मुस्लिमों को भी इसमें शामिल क्यों नहीं किया गया. इसे पारदर्शी होना चाहिए.

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