कोलकाता : नये नगारिकता कानून पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह कराये जाने संबंधी अपने बयान पर चौतरफा निंदा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को यू टर्न ले लिया और कहा कि उनका मतलब निष्पक्ष विशेषज्ञों की निगरानी में एक अभिमत (ओपिनियन पोल) कराने से था.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह लोगों की आवाज सुनें और संशोधित नागरिकता कानून को खत्म करें तथा समूचे देश में एनआरसी लागू करने की योजना को राष्ट्र हित में वापस लें. बनर्जी ने शहर के अल्पसंख्यक बहुल इलाके पार्क सर्कस में एक प्रदर्शन सभा में कहा, यदि अटल जी (अटल बिहारी वाजपेयी) जीवित होते तो वह भाजपा से राजधर्म का पालन करने को कहते. लेकिन, अब जो सत्ता (केंद्र) में हैं, वे इसका पालन नहीं करते. वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी को राजधर्म का पालन करने को कहा था. उन्होंने आश्चर्य जताया कि लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) कानून पारित होने के दौरान संसद में मौजूद रहने के बावजूद मोदी ने मत विभाजन में हिस्सा क्यों नहीं लिया. बनर्जी ने कहा, प्रधानमंत्री के विचार नये कानून से मेल नहीं खाते, इसलिए वह मत विभाजन में शामिल होने से दूर रहे.
संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह से संबंधित टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बनर्जी ने कहा कि उन्हें भाजपा से देशभक्ति और राष्ट्रवाद के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, मैंने संयुक्त राष्ट्र जनमत संग्रह की बात नहीं की. मेरा मतलब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे हमारे देश के निष्पक्ष विशेषज्ञों की निगरानी में अभिमत कराने से था. इसकी निगरानी संयुक्त राष्ट्र जैसे स्वतंत्र संगठनों द्वारा भी की जा सकती है. मेरा अपने देश और इसके लोगों में पूरा विश्वास है. मुख्यमंत्री ने कहा, मैं 1970 के दशक से राजनीति में हूं और 80 के दशक से लोगों की प्रतिनिधि रही हूं. मुझे भाजपा से देशभक्ति के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है. केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बनर्जी के बयान पर नाराजगी जतायी थी.
बनर्जी ने कहा, जब भी कोई आवाज उठाता है, उस व्यक्ति को राष्ट्रविरोधी कह दिया जाता है. देश 1947 में आजाद हुआ. उनकी (भाजपा) पार्टी 1980 के दशक में बनी. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया. यह फैसला करने वाले आप कौन होते हैं कि कौन नागरिक है और कौन नहीं. देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या यह स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी है जहां पुलिस प्रदर्शनकारियों पर गोली चला रही है. उन्होंने कहा, हमें लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करना चाहिए. जनजीवन को बाधित नहीं किया जाना चाहिए. बनर्जी ने कहा, राज्य में 23 दिसंबर से बड़े कार्यक्रम होंगे. हम एक जनवरी को समूचे राज्य में नागरिकता दिवस मनायेंगे.