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Gandhi@150 : दलित युवक की ढोलक की थाप पर सरायकेला के राजकुमार को नाचते देख दंग रह गये थे महात्मा गांधी

शचिंद्र कुमार दाश खरसावां : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादें सरायकेला के विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य से भी जुड़ी हैं. 1937 में गांधी जी ने पहली बार छऊ नृत्य देखा, तो इसके कायल हो गये. कोलकाता में शरत चंद्र बोस के घर 1937 में सरायकेला राजघराने की अगुवाई में रॉयल डांस ग्रुप का छऊ नृत्य […]

शचिंद्र कुमार दाश

खरसावां : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादें सरायकेला के विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य से भी जुड़ी हैं. 1937 में गांधी जी ने पहली बार छऊ नृत्य देखा, तो इसके कायल हो गये. कोलकाता में शरत चंद्र बोस के घर 1937 में सरायकेला राजघराने की अगुवाई में रॉयल डांस ग्रुप का छऊ नृत्य कार्यक्रम आयोजित हुआ. राजघराने के कुंवर विजय प्रताप सिंहदेव, राजकुमार सुधेंद्र नारायण सिंहदेव, नाटशेखर बनबिहारी पट्टनायक ने अपनी टीम के साथ गांधी जी के सामने नृत्य की प्रस्तुति दी थी.

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इस टीम में शहनाई मुस्लिम समुदाय के छोटे मियां बजा रहे थे, तो ढोलक पर दलित समुदाय के मधु मुखी थाप लगा रहे थे. दलित युवक के ढोलक की थाप पर राजकुमारों को नाचते देख महात्मा गांधी चकित रह गये थे. राधा-कृष्ण नृत्य को देखने के बाद बापू ने पहली टिप्पणी की : नृत्य देखते वक्त ऐसी अनुभूति हो रही थी, मानो मैं वृंदावन में हूं और मेरे सामने राधा-कृष्ण नृत्य कर रहे हों.

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नृत्य देखने के बाद गांधी जी ने राजघराने के कुंवर विजय प्रताप सिंहदेव, राजकुमार सुधेंद्र नारायण सिंहदेव, नाटशेखर बनबिहारी पट्टनायक के नृत्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी. इसका जिक्र पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुस्तक ‘इटालियन इंडिया’ व देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुस्तक में भी है.

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