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कोल इंडिया में श्रमिक संगठनों की हड़ताल का पड़ा व्यापक असर

कोलकाता : कोयला क्षेत्र के श्रम संघों ने मंगलवार को दावा किया कि उनकी एक दिन की हड़ताल से कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी अनुषांगिक इकाइयों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा है. उनका कहना है कि कोयला खदानों में उत्पादन और लदान बिल्कुल बंद रहा. श्रम संगठन कोयला निकासी क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को […]

कोलकाता : कोयला क्षेत्र के श्रम संघों ने मंगलवार को दावा किया कि उनकी एक दिन की हड़ताल से कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी अनुषांगिक इकाइयों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा है. उनका कहना है कि कोयला खदानों में उत्पादन और लदान बिल्कुल बंद रहा. श्रम संगठन कोयला निकासी क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को अपने पूर्ण स्वामित्व में कारोबार की अनुमति देने की नीति का विरोध कर रहे हैं. उनकी मांग है कि सरकार यह फैसला वापस ले. हड़ताल का आयोजन सरकारी क्षेत्र की कोयला कंपनियों में सक्रिय श्रम संघों के पांच महासंघों ने किया है. कुल पांच लाख से अधिक कोयला श्रमिक इनके सदस्य हैं.

अखिल भारतीय कोयला श्रमिक महासंघ (एआइसीडब्ल्यूएफ) के महासचिव डीडी रामनंदन ने बताया : हड़ताल से सभी कोयला खानों में उत्पादन पूरी तरह बंद रहा और वहां से कोयले की लदाई और निकासी भी बंद रही. देश के कोयला उत्पादन में कोल इंडिया का 80 प्रतिशत योगदान है. हड़ताल के कारण इस कंपनी को एक दिन में 15 लाख टन कोयला उत्पादन का नुकसान होने का अुनमान है. कंपनी के अधिकारी हड़ताल के बारे में कोई टिप्पणी करने को उपलब्ध नहीं थे.

इस हड़ताल का आह्वान इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन (इंटक), हिंद खदान मजदूर फेडरेशन (एमएमएस), इंडियन माइन वर्कर्स फेडरेशन (एटक), आल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन (सीटू) और आल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (एआईसीसीटीयू) ने मिल कर किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इन संगठनों की हड़ताल से अलग है और वह इसी मुद्दे पर सोमवार से 27 सितंबर तक पांच दिन तक कोयला क्षेत्र में काम बंद हड़ताल पर है.

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