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सोशल मीडिया नहीं, अखबार ही है पुख्ता खबरों का आधार

आम लोगों की राय कोलकाता : पूर्व राष्ट्रपति व भारत रत्न प्रणब मुखर्जी ने सोशल मीडिया के दुष्परिणाम के प्रति लोगों को सचेत किया है. सूचना तकनीक के विकास के साथ-साथ सोशल मीडिया के विस्तार ने सूचनाों की सत्यता को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. प्रभात खबर ने सोशल मीडिया के दुष्परिणाम को लेकर […]

आम लोगों की राय

कोलकाता : पूर्व राष्ट्रपति व भारत रत्न प्रणब मुखर्जी ने सोशल मीडिया के दुष्परिणाम के प्रति लोगों को सचेत किया है. सूचना तकनीक के विकास के साथ-साथ सोशल मीडिया के विस्तार ने सूचनाों की सत्यता को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. प्रभात खबर ने सोशल मीडिया के दुष्परिणाम को लेकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ बातचीत की.

पेश है बातचीत के कुछ अंश :

सज्जन बंसल (उद्योगपति) : आज भी टीवी के माध्यम से या सोशल मीडिया में देखते हैं, तो टीवी पर फिर भी लोगों का विश्वास है, लेकिन जब कोई खबर प्रिंट मीडिया में आती है, तो लोगों का विश्वास बढ़ जाता है कि यह खबर सच्ची है. ऐसे में प्रिंट मीडिया की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि इस विश्वास को कायम रखे.

सुभाष मुरारका, उद्योगपति : प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अपना-अपना महत्व है. प्रिंट मीडिया को पढ़ कर लोग अपने विचार तय करते हैं, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ऐसा लगता है कि हम सारी बातें लाइव कर रहे हैं, लेकिन प्रिंट मीडिया का महत्व बहुत ज्यादा है.

प्रकाश चंडालिया, वरिष्ठ पत्रकार : जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आया था, तो प्रिंट मीडिया को लेकर लोग चिंतित हुए थे, लेकिन वर्तमान में जो आंकड़े आ रहे हैं. उसके हिसाब प्रिंट मीडिया का ग्रोथ 6.5 फीसदी है. टीवी में खबरें देखने के बावजूद खबरों को पुख्ता करना हो तो लोग अखबार पढ़ते हैं.

उन्होंने पाकिस्तान से संबंधित शनिवार की खबर का उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है. सभी न्यूज चैनलों में दिखाया गया. शाम तक खबर चलती रही, जिसे पाकिस्तान की ओर से बताया गया कि यह गलत है. लेकिन वह किसी भी अखबार में नहीं छपी. सेंसेशन बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया खबरें डाल देता है. यही कारण है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया खुद अपनी विश्वसनीयता खो रहा है.

सुशील ओझा : सोशल मीडिया में लोग कुछ भी डाल देेते हैं. किसी के विरुद्ध कुछ भी लिख देते हैं, ऐसे में ये निरंकुश चीजें हानिकारक हो जाती हैं. हमें सोशल मीडिया पर कोई भी स्टेटमेंट देने से पहले सोचना चाहिए. टीवी पर भी कभी-कभी फेक खबरें आ जाती हैं. प्रिंट मीडिया को रिकॉर्ड बना कर रख सकते हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का फॉर्मेंट बदल सकता है, पर प्रिंट मीडिया का नहीं.

काशत्व बनर्जी, गायक : शुरू से अभी तक प्रिंट मीडिया विश्वसनीय है. लेकिन इलेक्ट्रॉनिक में दर्शकों को आकर्षित करने के लिए कुछ फेक खबरें भी दिखाई जाती हैं.

किशन कुमार केजरीवाल, उद्योगपति: प्रिंट मीडिया की खबरें पुख्ता होती हैं, हर कोई उस पर विश्वास करता है. मल्टी मीडिया में मल्टीफिकेशन होता है, जिससे खबरें सही हैं या गलत सोचना पड़ता है.

विद्यासागर मंत्री, उद्योगपति: यह सही है कि सोशल मीडिया लोगों में भ्रम फैलाने का काम करता है. लोगों का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ज्यादा प्रिंट मीडिया पर विश्वास है और आगे भी रहेगा.

शंपा दास, चित्रकार: मीडिया को हम अपनी जरूरत के अनुरूप इस्तेमाल करते हैं. प्रिंट मीडिया कल भी था और आगे भी रहेगा. इलेक्ट्रॉनिक आते ही छा गया, पर लोगों का विश्वास आज के दौर में भी प्रिंट मीडिया पर ही है. प्रिंट मीडिया को कहीं भी साक्ष्य को रूप में गर्व से इस्तेमाल कर लिया जाता है. यही कारण है कि आज प्रिंट मीडिया की जिम्मेदारी बढ़ गयी है.

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