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धुआं रहित तंबाकू का उपयोग 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण : विशेषज्ञ

कोलकाता :देश दुनिया में दिन प्रतिदिन बढ़ रही तंबाकू उत्पादों की लत से कैंसर का प्रकोप महामारी का रूप लेता जा रहा है. इसमें खासतौर पर चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपयोग प्रमुख है, जिसके कारण 90 प्रतिशत मुंह का कैंसर होता है. इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का मुख्य कारण भी मुंह […]

कोलकाता :देश दुनिया में दिन प्रतिदिन बढ़ रही तंबाकू उत्पादों की लत से कैंसर का प्रकोप महामारी का रूप लेता जा रहा है. इसमें खासतौर पर चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का उपयोग प्रमुख है, जिसके कारण 90 प्रतिशत मुंह का कैंसर होता है. इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का मुख्य कारण भी मुंह व गले का कैंसर है.

इस अवसर पर कैंसर रोग विशेषज्ञों ने एक बहुत ही चिंताजनक आशंका जतायी है कि आने वाली सदी तंबाकू के उपयोग के कारण अरबों मौतें होंगी. यदि कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ तो इन मौतों में 80 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होगी. विशेषज्ञों ने लोगों से तंबाकू से दूर रहने की अपील करते हुए यह आशंका जतायी और कहा कि कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू सेवन है.

21.4 फीसदी लोग धूम्रपान रहित तंबाकू का करते हैं इस्तेमाल

वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिमस (वीओटीवी) के पैट्रेन और नारायण सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के कैंसर सर्जन डॉ सौरव दत्ता ने कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे, 2017 के अनुसार भारत में बीड़ी, सिगरेट की लत की तुलना में चबाने वाले तंबाकू की लत के अधिक लोग शिकार हैं. इस सर्वे की रिपोर्ट में पाया गया है कि 21.4 प्रतिशत (15 वर्ष से अधिक) धूम्रपान रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं जबकि 10.7 प्रतिशत धूम्रपान करते हैं, जिसका मुख्य कारण 90 प्रतिशत मुंह का कैंसर है.

हालांकि जब तंबाकू की बात होती है, तो सरकार, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, गैर सरकारी संगठन और अन्य स्वैच्छिक संगठन तुरंत सिगरेट और बीड़ी के उपयोग और इसके दुष्प्रभाव के बारे में ही अधिक बात करते हैं. दुनियाभर में हेड नेक कैंसर के 5 लाख 50 हजार नये मामले सामने आते हैं, जिनमें से दो लाख लोगों की मौत हो जाती है, वहीं भारत में करीब डेढ़ लाख नये मामले सामने आ रहे हैं, जो कि बेहद चिंता का विषय है.

30-35 फीसदी मरीज भारत में

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे, 2017 के अनुसार इस तरह के मरीजों की संख्या की कुल मिलाकर 57.5 प्रतिशत एशिया में है. इनमें 30-35 प्रतिशत मरीज भारत में पाये जाते हैं. तंबाकू या धूम्रपान के धूम्र रहित रूपों का उपयोग करने वाले आम रूप से जानते हैं कि इससे गंभीर बीमारी हो सकती है, लेकिन केवल 49.6 प्रतिशत धूम्र रहित तंबाकू का सेवन करने वाले इसे छोड़ने की सोचते हैं. जबकि, 55.4 प्रतिशत धूम्रपान करने वालों लोग छोड़ने की योजना या इसके बारे में सोचते हैं.

धुआं रहित तंबाकू का इस्तेमाल 90 फीसदी मुंह के कैंसर का कारण

वर्ल्ड हेड नेक केंसर डे पर हेड एंड नेक कैंसर सर्जन, टाटा मेमोरियल अस्पताल और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संस्थापक डॉ पंकज चतुर्वेदी ने कहा : धुआं रहित तंबाकू का उपयोग 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर का कारण है. धूम्ररहित तंबाकू के उपयोग के कारण मरीज ऑपरेशन टेबल तक पहुंच जाते हैं. इसका कारण धूम्ररहित तंबाकू (एसएलटी) के उपयोगकर्ता धूम्रपान रहित उत्पादों के सरोगेट विज्ञापन के कारण छोड़ने की योजना बनाने वालों की संख्या कम है.

रोक के बाबजूद खुलेआम दिखाये जा रहे हैं पान मसाले के विज्ञापन

पान मसाला के विज्ञापनों पर रोक लगे होने के बावजूद टीवी चैनलों, रेडियो, समाचार पत्रों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विज्ञापन दिखाये जा रहे हैं. विशेष रूप से बच्चे और युवा वर्ग इन विज्ञापनों का आसानी से शिकार हो जाते हैं और विज्ञापनों के लालच में इन उत्पादों को खरीदते भी हैं. पान मसाला और सुगंधित माउथ फ्रेशनर्स के लोकप्रिय ब्रांडों में सुपारी का उपयोग किया जाता है, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कार्सिनोजेनिक (कैंसर का कारण) के रूप में पुष्टि की गयी है. संबंध हेल्थ फाउंडेशन ((एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने कहा : भले ही राज्यों ने तंबाकू के साथ गुटखा और पान मसाला पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन ये उत्पाद हर जगह बड़े पैमाने पर बेचे जाते हैं.

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