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ब्रह्मांड के आस्था का केंद्र है गंगासागर : शंकराचार्य

शिव राउत, सागरद्वीप : मकर संक्रांति के अवसर पर पुण्य स्नान के लिए गंगासागर पहुंचे पुरी के श्रीगोवर्धन मठ के पीठाधीश्वर स्वामी ‘शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने रविवार को पत्रकारों से देश-समाज, धर्म-परंपरा और राजनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि ‘राजनीति का नीति’ शब्द धर्म का पर्याय है, जो देश व समाज की व्यवस्था व […]

शिव राउत, सागरद्वीप :
मकर संक्रांति के अवसर पर पुण्य स्नान के लिए गंगासागर पहुंचे पुरी के श्रीगोवर्धन मठ के पीठाधीश्वर स्वामी ‘शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने रविवार को पत्रकारों से देश-समाज, धर्म-परंपरा और राजनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि ‘राजनीति का नीति’ शब्द धर्म का पर्याय है, जो देश व समाज की व्यवस्था व सुरक्षा की बात करता है, पर अफसोस कि आज राजनीति अराजक तत्वों की बपौती बन गयी है. सत्ता के मोह में राजनीति दल देश को भूल चुके हैं.
सद्भावपूर्ण संवाद के अभाव से हाशिये पर पं.बंगाल
स्वामी जी ने टो-टूक लहजे में कहा कि महाभारत व मनुस्मृति में भी राजधर्म की बात कही गयी है. राजधर्म के पालन की धुरी है सद्भावनापूर्ण संवाद. केंद्र सरकार व प.बंगाल के बीच सद्भावनापूर्ण संवाद की कमी से यह उपेक्षा का शिकार है, जिसे समझने की जरूरत है. क्योंकि देश की सीमा में ही बंगाल आता है. बेहतर है कि प.बंगाल सरकार व केंद्र के बीच स्वस्थ्य संवाद से इस अभाव को पाटा जाए.
ब्रह्राण्ड के आस्था का केंद्र है सागर मेला
गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित किये जाने की मांग पर केंद्र की उदासीनता के बारे में शंकराचार्य जी ने कहा कि सागर मेला राष्ट्र का ही यह तो ब्रह्मांण्ड की आस्था का मेला है. सरकार या प्रशासन के घोषणा के पूर्व ही हमारे आदि ऋषियों ने इस बात की उद्षोघणा कर दी है. गंगा-सागर के संगम पर मानव समाज के साथ-साथ गंधर्व, अप्सरा, देव-पितर सभी पुण्य स्नान करते हैं. यह ‘शास्त्रसम्मत है.
राजनीतिक इच्छाशक्ति में कमी का परिणाम है राममंदिर विवाद
राममंदिर पर हो रही राजनीति के बारे में स्वामीजी ने कहा कि देश की स्वतंत्रता के बाद सोमनाथ मंदिर की शिल्यान्यास को लेकर ऐसा ही विवाद छिड़ा था. लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बड़ी सूझ-बूझ से काम लिया.
हालांकि पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी यथास्थान पर सोमनाथ मंदिर नहीं बनवाना चाहते थे. लेकिन लौहपुरूष वल्लभ भाई ने राष्ट्रपति डाॅ राजेंद्र प्रसाद को साथ लेकर यथास्थान सोमनाथ मंदिर का शिल्यानास किया और वहां आसपास उपस्थित सौ मुस्लिम परिवार को बिना किसी गोली व गाली के दूसरे जगह स्थापित भी किया.
पुरातत्व विभाग के द्वारा भी यह प्रमाणित हो चुका है कि अयोध्या में राममंदिर के अवशेष ही मिले हैं. बावरी मजिस्द जैसी कोई बात ही नहीं हैं. साढ़े चार साल की अवधि में सरकार चाहती तो इस मसले को सुलझा सकती थी. लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव का परिणाम रामलल्ला को भुगतना पड़ रहा है.
पौराणिक आधार पर तीर्थों का नामाकरण सही
जो अच्छा है उसे अच्छा कहने में मुझे कोई संकोच नहीं. तीर्थों का नामाकरण उनके पौराणिक नाम से हुआ यह अच्छी पहल हैं.
धार्मिक और अध्यात्मिक गुरु होने के नाते सरकार को संकेत
नारायण-नारायण के उद्गार के साथ अपनी बात की ‘शुरुआत करते हुए स्वामी जी ने कहा सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर उसकी आधारशिला ही दूषित है. रामलला मंदिर के पास बाबरी मस्जिद के होने का प्रश्न ही नहीं उठता.
बाबारी मस्जिद क्या है? अगर कोई आक्रमक तत्व हमारे स्थान को दूषित करता है तो मानवाधिकार की सीमा में संयुक्त राष्ट्र संघ को यह घोषित करना चाहिये कि वह तंत्र बर्बर है और उसे कोई अधिकार बर्बरता की सीमा में नहीं दिया जा सकता. न्यामूर्तियों को मैं संकेत करना चाहता हूं मैं पुरी का ‘शंकराचार्य धार्मिक और आध्यत्मिक दृष्टि से विश्व के सर्वोच्च पद पर पीठासीन यह कहता हूं कि रामलला का प्रादुर्भाव एक सत्य है.
एक बार किसी धर्मिक मामले में कलकाता हाइकोर्ट ने मुझसे राय ली थी. मैंने जो उन्हें सुझाव दिये थे उसे कोर्ट ने माना. वैसे ही उच्च न्यायालय को मैं संकेत करना चाहता हूं की कोर्ट में रामजन्म भूमि को लेकर जो केस चल रहा है उसकी आधारशिला ही गलत है.
स्कंद पुराण में श्री रामलाल के प्रादुर्भाव भाव का पूरा वर्णन मिलता है कि उत्तर, दक्षिण और पूर्व पश्चिम में कौन है. इसलिए बाबरी मस्जिद का नाम ही देश से हटा देना चाहिए. देश के प्रधानमंत्री की गरिमा का मैं ख्याल रखता हूं. प्रधानमंत्री जी चार बार नेपाल जाकर पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन कर चुके हैं.
लेकिन एक बार भी अयोध्या जाकर रामलला की दर्शन नहीं किये. उन्होंने प्रधानमंत्री से यह पूछते हुए कहा कि क्या अपको ऐसा करने से कांग्रेस ने प्रतिबंधित कर रखा है? आगे उन्होंने अमित ‘शाह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी पार्टी का अध्यक्ष देश में दूषित वातावरण नहीं बना सकता.
‘तीर्थ साथी’ से चप्पे-चप्पे पर निगरानी
सागरद्वीप. गंगासागर मेले में लगाये गये अाधुनिक मेगा कंट्रोल रूम ‘तीर्थ साथी’ (इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल रूम) से बाबूघाट, काकद्वीप, लॉट नंबर आठ, केचुबेड़िया से लेकर गंगासागर तट तक चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है.
लगभग 850 सीसीटीवी और 14 ड्रोन के साथ-साथ 14 हीलियम बैलून में लगे कैमरे से प्राप्त विजुअल आपदा प्रबंधन की टीम विश्लेषण कर रही है और उसके अनुसार भीड़ नियंत्रित कर रही है.
गंगासागर के आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ (पश्चिम बंगाल) कर्नल संजय श्रीवास्तव ने प्रभात खबर को बताया कि सीसीटीवी, ड्रोन व हीलियम बैलून से प्राप्त विजुअल का आपदा प्रबंधन की टीम विश्लेषण कर रही है. उसके अनुरूप दिशानिर्देश जारी किया जा रहा है और गंगासागर आने वाले तीर्थयात्रियों की आवाजाही को नियंत्रित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रयागराज कुं‍भ में भी मेगा कंट्रोल रूम बनाये गये हैं, लेकिन उनका नियंत्रण पुलिस के पास है और उनसे प्राप्त विजुअल का विश्लेषण की व्यवस्था नहीं है, जबकि गंगासागर के कंट्रोल रूम को प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस और आपदा प्रबंधन संयुक्त रूप से निगरानी कर रही है औस इस कारण व्यवस्था अधिक सुचारू ढंग से संचालित हो रही है.
वैसेल में लगाये गये हैं गार्मिनेट सेट
कर्नल श्रीवास्तव ने बताया कि लॉट नंबर आठ से केचुबेड़िया जाने वाले वैसेल में पहली बार गार्मिनेट सेट तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह तकनीक न केवल नेविगेशन में मदद कर रहा है, वरन जीपीएस व्यवस्था पर आधारित है.
वेसल की स्थिति बताता है तथा पानी की गहराई कितनी है. इसकी भी जानकारी उपलब्ध कराता है. इससे वेसेल के फंसने की संभावना बहुत ही कम हो जाती है.
आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से मिल रही है मदद : शोभनदेव
राज्य के बिजली मामलों के मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने कहा कि मेगा कंट्रोल रूम में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.इससे बाबूघाट से लेकर सागरद्वीप तक की निगरानी रखी जा रही है.
इससे न केवल तीर्थयात्रियों को सुविधा मुहैया कराने में सुविधा हो रही है, वरन इससे तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर व्यवस्था करने में मदद मिल रही है.
गंगासागर मेले में स्वच्छता पर भी जोर
सागरद्वीप. स्वच्छता को ईश्वर भक्ति का पर्याय भी कहा गया है और गंगासागर तो विश्व में मोक्षनगरी के नाम से विख्यात है. ऐसे में शासन-प्रशासन सागर मेले की स्वच्छता को लेकर काफी चौकसी बरत रहा है.
खुले में शौच को रोकने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से बस स्टैंड से लेकर मेला परिसर तक लगभग ढ़ाई लाख शौचालय बनाये गये हैं. चैबीस घंटा माइक के जरिए लोगों को शौचालय व साफ-सफाई के संबंध में बताया जा रहा है.
परिसर के कोने-कोने से कूड़े-कचरे उठाने के लिए 40 ई-कार्ट्स तथा 60 ठेला गाड़ी की व्यवस्था की गयी है. वहीं समूचे प्रांगण में नीले रंग से रंगे हुए ‘यूज मी’ के स्लोगन के साथ लगभग 1500 कूड़ेदान रखा गया है. इतना ही नहीं हर घंटे मेला परिसर की सफाई की जा रही है.
सागरद्वीप : कपिल मुनि मंदिर परिसर में मेटल नहीं, बांस के बैरिकेड
सागरद्वीप : विश्वविख्यात गंगासागर मेले में डुबकी लगाकर ‘बैकुंठ’ की चाह में दुनिया भर से ओनवाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए इस साल मेला परिसर से लगभग 20 किलोमीटर तक मेटल बैरीकेड लगाने की बात कही गयी थी, लेकिन प्रशासन का यह दावा हवाई जुमला साबित हुआ.
हमेशा की तरह सागर तट से कपिल मुनि मंदिर परिसर में बांस के बैरीकेड ही लगे हैं. जबकि बांस से बने यह बैरीकेड़ कमजोर होने के कारण मेला चलने के दौरान ही जगह-जगह से टूट भी जाते हैं.
इससे ना सिर्फ तीर्थयात्रियों को बल्कि उन्हें नियंत्रित कर रहे पुलिसकर्मियों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है, जबकि वन और के टू बस स्टैंड के पास मेटल बैरीकेड लगाया गया. सूत्रों के अनुसार प्रशासन ने कुंभ के कारण सागर पहुंचनेवाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी को देखते हुए कपिलमुनि आश्रम में बैरिकेड व्यवस्था में बदलाव नहीं किया.

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