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आम बागानों की जमीन पर होगी सब्जी की खेती

मालदा : राज्य सरकार के प्रयास से मालदा में एक नई हरित क्रांति होने जा रही है. आम बागानों की जमीन पर अब सब्जी की खेती होगी. जैविक खाद का इस्तेमाल करके अब तरह-तरह की सब्जियां उगायी जायेगी. प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इससे सब्जियों का कमी पूरी होगी और साथ ही ग्रामीण इलाकों […]

मालदा : राज्य सरकार के प्रयास से मालदा में एक नई हरित क्रांति होने जा रही है. आम बागानों की जमीन पर अब सब्जी की खेती होगी. जैविक खाद का इस्तेमाल करके अब तरह-तरह की सब्जियां उगायी जायेगी. प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इससे सब्जियों का कमी पूरी होगी और साथ ही ग्रामीण इलाकों के स्वनिर्भर महिला समूहों को रोजगार की एक नयी दिशा मिलेगी.
उल्लेखनीय है कि आम उत्पादन के मालदा जिला मशहूर है. अभी जिले में 32 हजार हेक्टेयर पर आम की खेती होती है. आम के मौसम में तीन महीने किसान आम उत्पादन में व्यस्त रहते हैं. बाकि के नौ महीने आम बागान की जमीन खाली पड़ी रहती है. प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि बाकि दिनों में सब्जी की खेती के लिये मनरेगा के जरिये काम होगा. बीज और सिंचाई की व्यवस्था भी राज्य सरकार करेगी. सब्जी की खेती की जिम्मेदारी संबंधित इलाके की महिला आत्मनिर्भर समूहों को दी जायेगी.
जिला प्रशासन सूत्रों ने बताया कि मालदा जिले के इंगलिश बाजार, कालियाचक 1 और 2, मानिकचक, गाजोल, चांचल 1 व 2, ओल्ड मालदा और हबीबपुर समेत कुल नौ ब्लॉकों के विभिन्न आम बागानों में सब्जी की खेती शुरू की गयी है. उपज का 75 प्रतिशत आत्मनिर्भर समूहों को मिलेगा, जबकि बाकी का 25 प्रतिशत बागान मालिक का होगा. 2017-18 में 250 एकड़ आम बागान में सब्जी की खेती की गयी है.
वहीं 2018-19 में एक हजार एकड़ आम बागान में इस योजना को लागू किया गया है. जिला पंचायत एवं ग्रामीण विकास अधिकारी सुकांत साहा ने बताया कि आम बागानों की जमीन पर बैंगन, पपीता, कुम्हरा, हरी मिर्च, झिंगा, केला समेत विभिन्न तरह की सब्जियों का उत्पादन शुरू किया गया है. इससे बड़ी संख्या में स्वनिर्भर समूह की महिलायें लाभान्वित हो रही हैं.
जदुपुर एक ग्राम पंचायत के कमलाबाड़ी इलाके के एक स्वनिर्भर समूह की महिला सदस्यों फिरोजा बीबी, मेरिना बीबी, अख्तरी बीबी आदि ने बताया कि राज्य सरकार की इस पहल से हमलोग बहुत खुश हैं. हमारे पास खुद की जमीन नहीं है. हमारे लिये खुद से दूसरे की जमीन लीज पर लेना संभव नहीं है. ऐसे में आम बागानों की जमीन से हमें रोजी-रोटी मिल रही है. हम अपने बच्चों को ठीक से पढ़ाने-लिखाने में सक्षम हुये हैं.

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