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बंगाल : माओवादियों तक पहुंचे इच्छापुर राइफल फैक्टरी के स्क्रैप से बने आधुनिक हथियार, जानिए कैसे हुई 6 की गिरफ्तारी

माओवादियों तक पहुंचे इच्छापुर राइफल फैक्टरी के स्क्रैप से बने आधुनिक हथियार कोलकाता : उत्तर 24 परगना की इच्छापुर राइफल फैक्टरी में निर्मित हथियारों के स्क्रैप पार्ट्स की फिटिंग कर अत्याधुनिक शस्त्र बनाकर उसे बिहार-झारखंड के माओवादियों व नेपाल के आतंकियों तक पहुंचाने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स […]

माओवादियों तक पहुंचे इच्छापुर राइफल फैक्टरी के स्क्रैप से बने आधुनिक हथियार
कोलकाता : उत्तर 24 परगना की इच्छापुर राइफल फैक्टरी में निर्मित हथियारों के स्क्रैप पार्ट्स की फिटिंग कर अत्याधुनिक शस्त्र बनाकर उसे बिहार-झारखंड के माओवादियों व नेपाल के आतंकियों तक पहुंचाने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने रविवार देर शाम गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
एसटीएफ ने पहले अजय कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पंडित (40) निवासी, गोस्वारा गिरीचक, नालंदा, बिहार, जय शंकर पांडेय (36) निवासी, सिउर रोह, नवादा बिहार, उमेश राय उर्फ भोला राय (21) निवासी, इच्छापुर, नोआपाड़ा और कार्तिक साव (40) निवासी, इच्छापुर, नोआपाड़ा को दबोचा.
इनके पास से सात रिवॉल्वर, एक कारबाईन और 10 कारतूस जब्त की गयी है. इनसे पूछताछ के बाद इन्हें हथियारों का स्क्रैप सप्लाई करने के आरोप में इच्छापुर राइफल फैक्टरी के जूनियर वर्क्स मैनेजर सुखदा मुर्मू उर्फ मुनमुन (40) निवासी, नवाबगंज, इच्छापुर और सुशांत बसु उर्फ बासु दा (51) निवासी, माझेरपाड़ा, इच्छापुर को गिरफ्तार किया गया. गौरतलब है कि इच्छापुर राइफल फैक्टरी केंद्र सरकार का उद्यम है.
कैसे हुई गिरफ्तारी
कोलकाता पुलिस के उपायुक्त (एसटीएफ) मुरलीधर शर्मा ने बताया : सूचना मिली थी कि बिहार के कुछ आर्म्स डीलरों को बाबूघाट इलाके में हथियारों की सप्लाई होने वाली है. इस जानकारी के बाद एसटीएफ की टीम बाबूघाट इलाके में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रख रही थी.
संदेह के आधार पर एसटीएफ ने अजय पांडेय और जय शंकर पांडेय को गिरफ्तार किया. प्राथमिक पूछताछ में गिरोह के सरगना अजय पांडेय उर्फ गुड़्डू पंडित ने बताया कि वह अपने साथी जय शंकर के साथ मिलकर राइफल फैक्टरी से हथियारों के स्क्रैप लेते थे. फैक्टरी के कर्मचारियों की मदद से अवैध तरीके से बाहर निकाले गये हथियारों के स्क्रैप उमेश राय और कार्तिक साव के सहयोग से बिहार ले जाते थे.
वहां इस स्क्रैप की फिटिंग कर आर्म्स बनाकर इसे बिहार के माओवादियों के अलावा तृतीय प्रस्तुुति कमेटी (टीपीसी) नामक संगठन के लीडरों को बेचते थे. नेपाल के भी कुछ आतंकी संगठनों के सदस्यों को अजय ने हथियारों की सप्लाई की है. आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. मामले में फैक्टरी का और भी कोई कर्मचारी शामिल है या नहीं, इसकी भी जांच हो रही है.
कैसे आर्म्स स्क्रैप बन जाता था कॉम्पैक्ट हथियार
प्राथमिक पूछताछ में गिरफ्तार उमेश राय ने बताया कि इच्छापुर राइफल फैक्टरी में स्क्रैप विभाग के पास दीवार की रेलिंग से दोनों गिरफ्तार कर्मचारी हथियारों के स्क्रैप को बोरियों में भर कर दीवार की दूसरी तरफ फेंक देते थे. इसके बाद उमेश व कार्तिक की मदद से यह स्क्रैप बिहार के आर्म्स डीलरों के पास पहुंचाया जाता था.
आरोपी अजय पांडेय उर्फ गुड्डू पंडित ने पुलिस को बताया कि स्क्रैप में निकले जो हथियार 80 प्रतिशत अच्छी स्थिति में होते थे, उनमें 20 फीसदी नये पार्ट जोड़कर आधुनिक हथियार का रूप दे दिया जाता था. टेस्टिंग के बाद इन हथियारों को बिहार-झारखंड के माओवादियों तक पहुंचाया जाता था. रिवॉल्वर को 25 से 35 हजार रुपये में बेचा जाता था. इंसास व एसएलआर डेढ़ से तीन लाख रुपये में बेचे जाते थे.

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