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पूर्व जज ने लगाया फोन टेपिंग का आरोप

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की कोलकाता पीठ के वर्तमान न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) प्रताप कुमार रे ने उनका फोन टेप होने का आरोप लगाया है. इस संबंध में पूर्व न्यायाधीश ने कैट के कोलकाता पीठ के रजिस्ट्रार के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रलय को पत्र […]

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की कोलकाता पीठ के वर्तमान न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) प्रताप कुमार रे ने उनका फोन टेप होने का आरोप लगाया है. इस संबंध में पूर्व न्यायाधीश ने कैट के कोलकाता पीठ के रजिस्ट्रार के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रलय को पत्र भी लिखा है. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उनका फोन टेप किया जा रहा है.

कैट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति के साथ-साथ चार अन्य आइपीएस अधिकारियों को महानिदेशक रैंक में पदोन्नति किये जाने के राज्य सरकार के फैसले को दरकिनार कर दिया था और कहा था कि डीजीपी सहित इन पांच आइपीएस अधिकारियों की पदोन्नति में नियमों का पालन किया गया है. अब उन्होंने इस मामले में केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिख कर इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है.

न्यायमूर्ति रे के निर्देश पर कैट की कोलकाता पीठ के रजिस्ट्रार के. बिसवाल द्वारा भेजे गये पत्र में कहा गया है कि न्यायमूर्ति को आशंका है कि उनके मोबाइल फोन को पिछले कुछ दिनों से टेप किया जा रहा है. पत्र में कहा गया है कि वह नई दिल्ली स्थित कैट के अध्यक्ष सहित विभिन्न गणमान्य हस्तियों से आधिकारिक मामलों पर संपर्क के लिए फोन का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा वह निजी बातचीत के लिए भी फोन का प्रयोग करते हैं. केंद्रीय गृह सचिव को लिखे गये पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रलय से अनुरोध किया गया है कि वह इस मामले में कानून के मुताबिक जरुरी कार्रवाई करें क्योंकि मोबाइल फोन टेप करना न केवल एक अपराध है, बल्कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन भी है.

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति रे तीन फरवरी को पारित किये गये अपने उस आदेश की वजह से चर्चा में थे, जिसमें उन्होंने पांच आइपीएस अधिकारियों को महानिदेशक के पद पर तरक्की के राज्य सरकार के फैसले को दरकिनार कर दिया था. इसमें पश्चिम बंगाल के मौजूदा डीजीपी का भी मामला शामिल था. पिछले 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हुए आइपीएस अधिकारी नजरुल इस्लाम की याचिका पर न्यायमूर्ति रे ने यह आदेश दिया था. बहरहाल, पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर हाइकोर्ट की एक खंडपीठ ने कैट के उस आदेश को निरस्त कर दिया. राज्य सरकार ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर आइपीएस अधिकारियों पर दिये गये आदेश के मामले में कैट की कोलकाता पीठ पर पूर्वाग्रह से ग्रसित रहने का आरोप भी लगाया है.

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