कोलकाता: हत्या के एक लंबित मामले में 41 वर्षों से विचाराधीन कैदी के तौर पर जेल में बंद नेपाली नागरिक दुर्गा प्रसाद टिमसिना उर्फ दीपक जैसी आखिरकार रिहा हो गया. इसका आदेश कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन व न्यायाधीश अनिरुद्ध राय की खंडपीठ ने दिया. बुधवार को आये हुक्म की शनिवार को तामील हुई.
शनिवार को आरोपी दीपक जैसी को दमदम सेंट्रल जेल के बाहर नेपाल से आये उनके भाई प्रकाश चंद्र ने रिसीव किया. बाहर निकलने पर कैदी ने बस यही कहा 'मैं निर्दोष हूं'. हाइकोर्ट की खंडपीठ ने दीपक जैसी की बुधवार को ही जेल से रिहाई का आदेश दिया था. उस दिन उनके परिजन नहीं आए थे, लिहाजा, उनकी रिहाई दो दिन के लिए टल गयी. शनिवार को दीपक जैसी के भाई प्रकाश चंद्र नेपाल से पहुंचे और मुचलका जमाकर भाई को अपने साथ लेकर नेपाल वापस चले गये.
मालूम रहे कि दीपक जैसी नेपाल के इलाम जिला स्थित माइ नगरपालिका के रहनेवाले हैं. वर्ष 1980 में दार्जिलिंग में हुई हत्या के सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. अदालत में मामला पिछले 41 वर्षों तक चला, पर सुनवाई पूरी नहीं हुई. इसके बाद मामले पर हाल में कलकत्ता हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर मुकदमा शुरू किया.
अभियुक्त दीपक जैसी आज 75 साल के बुजुर्ग हो गये हैं. नेपाल में उनकी मां (92 वर्ष) आज भी जिंदा हैं और अपने बेटे को मरा समझ कर उसकी फोटो पर रोज फूल चढ़ाती हैं. मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक वह मनोरोगी हो गये हैं. मामले की सुनवाई के दौरान उनके वकील ने कोर्ट को बताया था कि उनके मुवक्किल की मनोदशा ठीक नहीं है. इसलिए अपील है कि जब तक उनका परिवार यहां ना आ जाये, उन्हें रिहा ना किया जाये. शुक्रवार को उनके भाई प्रकाश चंद्र यहां पहुंचे और कोर्ट के आदेशानुसार जमानत के लिए मुचलका भरा. इसके बाद शनिवार को अभियुक्त दीपक जैसी जेल से रिहा हो गया.
Posted By - Aditi Singh