कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिला की 12 विधानसभा सीटों पर अपना विधायक चुनने के लिए क्षेत्र की जनता 27 मार्च और 1 अप्रैल को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेगी. पिछली बार तृणमूल कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं, जबकि वामदलों के खाते में 3 सीटें आयीं थीं.
वामदलों की सबसे बड़ी पार्टी माकपा के 2 उम्मीदवार जीते थे, जबकि आरएसपी के 1 उम्मीदवार ने विजय पताका लहराया था. माकपा के अजित रे ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सोनामुखी सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि आरएसपी के धीरेंद्र नाथ लायक ने छातना सीट पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी दी थी.
एक और माकपा उम्मीदवार बरजोड़ा विधानसभा सीट पर जीते थे. उनका नाम सुजीत चक्रवर्ती है. विधानसभा चुनाव जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचने वाले कांग्रेस के दो नेताओं के नाम शंपा दारिपा और तुषार कांति भट्टाचार्य हैं. शंपा बांकुरा विधानसभा सीट से जीतीं थीं, जबकि तुषार कांति विष्णुपुर सीट पर जीते थे.
बांकुड़ा जिला की 6 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं. इनमें 4 अनुसूचित जाति के लिए, तो 2 अनुसूचित जनजाति के लिए. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 4 में से 3 सीटें तृणमूल ने जीतीं थीं, तो माकपा ने 1 सीट. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 2 सीटों पर तृणमूल के उम्मीदवार जीते थे. बीरभूम में भाजपा का खाता भी नहीं खुला था.
ममता बनर्जी की कैबिनेट में इस जिले के एक विधायक को जगह दी गयी थी. इस जिले के हिस्से पब्लिक हेल्थ एंड इंजीनियरिंग विभाग आया था. श्यामल सांतरा को इस विभाग का मंत्री बनाया गया था. श्यामल सांतरा ने काटुलपुर (एससी) सीट से जीत दर्ज की थी.
बांकुड़ा जिला की दो महिलाएं ज्योत्सना मांडी और शंपा दारिपा विधायक बनीं. इनमें एक कांग्रेस के टिकट पर और दूसरी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं. ज्योत्सना मांडी ने रानीबांध (एसटी) सीट पर जीत दर्ज की, जबकि शंपा दारिपा बांकुड़ा विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचीं.
उल्लेखनीय है कि 295 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा की 294 सीटों के लिए मतदान कराया जाता है. सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 148 सीट है. कोई एक पार्टी या कई पार्टियों का समूह गठबंधन के तहत 148 सीटें हासिल करके सरकार बना बनायेगी.
Posted By : Mithilesh Jha