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अक्षय तृतीया में स्वार्थ सिद्धि योग

आसनसोल : इस बार अक्षय तृतीया पर सवार्थ सिद्धि योग बन रहा है. यह 21 अप्रैल (वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया) को है. सूर्य, चंद्रमा व गुरु के उच्च राशि में होने तथा मंगल व शुक्र का स्वगृही राशि में होना मंगलकारी योग का सृजन कर रहा है. इसके अलावा कृतिका व रोहणी […]

आसनसोल : इस बार अक्षय तृतीया पर सवार्थ सिद्धि योग बन रहा है. यह 21 अप्रैल (वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया) को है. सूर्य, चंद्रमा व गुरु के उच्च राशि में होने तथा मंगल व शुक्र का स्वगृही राशि में होना मंगलकारी योग का सृजन कर रहा है. इसके अलावा कृतिका व रोहणी नक्षत्रों का योग भी चंद्रमा के उच्च राशि में हो रहा है. इससे अक्षय तृतीया पर स्वार्थ सिद्धि का योग क ा सृजन हो रहा है, जो अति शुभ और मंगलकारी है.
स्थानीय शनि मंदिर के पुजारी तुलसी तिवारी के अनुसार तृतीया तिथि 20 अप्रैल की रात 8.44 बजे से प्रारंभ हो रही है, जो मंगलवार को शाम 7.28 बजे तक रहेगी. इसके बाद चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी. इस दिन तृतीया और चतुर्थी का योग होना उत्तम माना गया है. चतुर्थी तिथि पर गणोश व तृतीया तिथि के रूप में मां गौरी की पूजा की जाती है. इससे इस वर्ष तृतीया पर विशेष संयोग बन रहा है. इस दिन किया गया कोई भी काम विशेष फलदायक माना गया है.
इस बार अक्षय तृतीया पर सुबह से रात तक कई शुभ संयोग बन रहे हैं. ज्योतिषियों के अनुसार यह दुर्लभ अवसर 191 साल बाद आया है. इस कारण यह दिन मांगलिक कार्य, दान-पुण्य और भूमि, भवन, वाहन और सोने की खरीदारी के लिए अति शुभ रहेगा. इस दिन सुबह 6.15 से दोपहर 11.57 बजे तक सर्वार्थिसद्धि योग और दोपहर 11.58 से सूर्यास्त तक रवि योग का विशिष्ट संयोग बन रहा है.
यह दिन कैसे होगा अक्षय
स्वाभाविक प्रश्न है कि कोई खास दिन या तिथि अक्षय कैसे हो सकती है? तिथि तो हमेशा बदलती रहती है. इसके बारे में युधिष्ठिर ने कृष्ण से पूछा, तो कृष्ण ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक काम करेंगे, उसका पुण्य कभी खत्म नहीं होगा.
मान्यता है कि इसी दिन महाभारत की लड़ाई खत्म हुई थी और द्वापर युग समाप्त हुआ था. इसी मान्यता के कारण अक्षय तृतीया को ऐसा मौका माना जाता है, जिस दिन किया जाने वाला हर काम शुभ होगा और मन से मांगी गई हर इच्छा पूरी होगी.
सोने की ही खरीदारी क्यों
कोई भी नया काम, नया घर, नया कारोबार आदि शुरू करने से उसमें बरकत होगी और ख्याति मिलेगी. इस दिन लोग सोने के आभूषण भी खरीदते हैं और इसे शुभ माना जाता है. सोने को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है और हमेशा संपन्नता के प्रतीक के तौर पर इसे खरीदा जाता है.
अक्षय तृतीया, हर साल वैशाख शुक्ल के तीसरे दिन मनाई जाती है. इस समय तक फसलें कट जाती हैं और घर धन-धान्य से संपन्न हो जाता है. ऐसे में लोग दान दे सकते हैं, व्यापारी से सामान खरीद सकते हैं और पारिवारिक जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभा सकते हैं. तृतीया तिथि का वेदों में विशेष महत्व है. इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्तो में एक है.
इस दिन भगवान विष्णु व महालक्ष्मी की उपासना की जाती है. भगवान परशुराम का अवतरण इसी दिन हुआ था. इस दिन दान पुण्य करने का विधान है. माना गया है कि अक्षय तृतीया को दान किये जाना काफी लाभकारी होता है. महाभारत में कहा गया है कि इस दिन स्न्नान, दान, हवन, जप करने से अनंत लाभकारी फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन सोना खरीदने का भी विधान है.

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