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धर्म की समाजविरोधी भूमिका के विरोधी रहे सांकृत्यायन आसनसोल : साहित्यिक संस्था ‘आस्था’ ने शनिवार को दयानंद विद्यालय हाई स्कूल परिसर में राहुल सांकृत्यायन की जयंती पर ‘राहुल सांकृत्यायन और हमारा समय’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की. अध्यक्षता मनोहर लाल भाई पटेल ने की. इसकी शुरुआत प्रकाशचंद्र बर्णवाल ने उनकी श्रद्धांजलि देने के लिये रचित […]

धर्म की समाजविरोधी भूमिका के विरोधी रहे सांकृत्यायन
आसनसोल : साहित्यिक संस्था ‘आस्था’ ने शनिवार को दयानंद विद्यालय हाई स्कूल परिसर में राहुल सांकृत्यायन की जयंती पर ‘राहुल सांकृत्यायन और हमारा समय’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की. अध्यक्षता मनोहर लाल भाई पटेल ने की. इसकी शुरुआत प्रकाशचंद्र बर्णवाल ने उनकी श्रद्धांजलि देने के लिये रचित अपनी कविता का पाठ कर किया.
ईश्वरचंद्र विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ दामोदर मिश्र ने कहा कि वे आधुनिक युग में हिंदी के अरस्तू थे. उनकी बहुमुखी प्रतिभा थी. उन्होंने राजनीति, पुरातत्व, दर्शन, यायावरी, अनुवाद, संपादना,बहुभाषा शिक्षण, स्वतंत्रता संग्राम तथा किसान नेतृत्व आदि मोर्चे पर समान रूप से कार्य किया. उन्होंने धर्म की समाजविरोधी भूमिका के कारण उसका विरोध किया. उनके जीवन में मुख्यत: चार पड़ाव – वैष्णव, आर्य समाज, बौद्ध व मार्क्‍सवाद है. उन्होंने कहा कि धर्म की गहराई में जाते हुए भी वे पाखंड में नहीं फंसते हैं. सामाजिक विषमता व उत्पीड़न मिटाने का जो वैज्ञानिक इलाज (मार्क्‍सवाद) मिला, उसकी उन्होंने काफी परख की तथा कहा कि उन्हें मंजिल मिल गयी.
जनवादी लेखक संघ के जिला सचिव डॉ संतराम ने कहा कि उन्होंने विश्व दर्शन को अपने ‘दर्शन – दिग्दर्शन’ के माध्यम से वखूबी चित्रित किया है. अतीत को वर्त्तमान विकास के दौर में देखने का सफल प्रयास किया है. उन्होंने धर्म के पाखंड का खुल कर विरोध किया है. बीसी कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ विजय नारायण ने कहा कि यदि उन्होंने खुद को एक विधा पर केंद्रित किया होता तो उनकी रचनाओं में ऐतिहासिक विशिष्टता होती. उन्होंने सामाजिक पाखंड व रूढ़िवादिता पर जम कर प्रहार किया. आसनसोल गल्र्स कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ केके श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने मनुष्य जाति की मुक्ति के वर्त्तमान संघर्ष को तेज करने व मार्गदर्शन करने का कार्य किया. राष्ट्रीय एकता की दिशा में उनकी रचनाएं सर्वाधिक प्रासंगिक हैं. खांद्रा कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष अंजू सिंह ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला.
आशा शर्मा, अवधेश कुमार अवधेश, नर्मदेश्वर लाल श्रीवास्तव, दिनेश पप्रसाद गुप्त ‘गर्ग’तथा मोहम्मद मुनाफ ने उन पर आधारित कविताओं को प्रस्तुत कर मंत्रमुग्ध कर दिया. संचालन ‘आस्था’ के संयोजक नवीनचंद्र सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाध्यापक मृत्युंजय कुमार सिंह ने किया. संस्था के संरक्षक अशोक कुमार अग्रवाल उपस्थित थे.

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