सत्येंद्र हत्याकांड: दार्जिलिंग पुलिस की एक टीम बिहार में कर रही तलाश, भाजपा नेता हरेंद्र यादव समेत सभी आरोपियों का कोई सुराग नहीं

सिलीगुड़ी. भू-माफिया सह तृणमूल कांग्रेस (तृकां) नेता सत्येंद्र प्रसाद हत्याकाण्ड के सात दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस प्रशासन को मुख्य आरोपी भाजपा नेता हरेंद्र यादव समेत सभी सहयोगी आरोपियों का कोई सुराग अब-तक हाथ नहीं लगा है. आठ अप्रैल यानी शनिवार की रात सिलीगुड़ी महकमा के खोरीबाड़ी थानांतर्गत बिहार-बंगाल बोर्डर के चकरमारी के लाडला […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 15, 2017 8:09 AM

सिलीगुड़ी. भू-माफिया सह तृणमूल कांग्रेस (तृकां) नेता सत्येंद्र प्रसाद हत्याकाण्ड के सात दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस प्रशासन को मुख्य आरोपी भाजपा नेता हरेंद्र यादव समेत सभी सहयोगी आरोपियों का कोई सुराग अब-तक हाथ नहीं लगा है. आठ अप्रैल यानी शनिवार की रात सिलीगुड़ी महकमा के खोरीबाड़ी थानांतर्गत बिहार-बंगाल बोर्डर के चकरमारी के लाडला लाइन होटल में सत्येंद्र को सरेआम गोलियों से भून दिया गया था और वारदात के बाद हरेंद्र अपनी बगैर नंबर प्लेट की स्कॉर्पियो कार से सभी आरोपियों को साथ लेकर बिहार फरार हो गया.

इस वारदात को लेकर खोरीबाड़ी थाना में सत्येंद्र के भाई कन्हैया प्रसाद द्वारा नामजद एफआइआर दायर कराये जाने के बाद दार्जिलिंग पुलिस की एक टीम घटना के दूसरे दिन ही बिहार रवाना भी हो गयी. पुलिस की पूरी टीम सात दिन बाद भी बिहार में आरोपियों को खंगालने में जुटी है लेकिन आजतक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है.

वहीं, पुलिस अमले में हरेंद्र समेत सभी आरोपियों के बिहार के रास्ते नेपाल अंडरग्राउण्ड होने की अटकलें भी लगा रही है. जांच टीम के एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि पुलिस सभी आरोपियों की गहन तलाश कर रही है. इस मामले में बिहार पुलिस का भी पूरा सहयोग मिल रहा है. दूसरी ओर विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त समाचार के अनुसार हरेंद्र अंडरग्राउण्ड होने के बावजूद सिलीगुड़ी में किसी खास परिचित से संपर्क साधे हुए है. वह सिम बदल-बदलकर वारदात के बाद की हरेक गतिविधियों, यहां तक की मामले की हो रही मीडिया कवरेज पर भी पूरी नजर रख रहा है. सूत्रों की माने तो हरेंद्र अपने सभी सहयोगियों के साथ जल्द सरेंडर करने का मूड बना रहा है लेकिन इसके लिए उचित समय का इंतजार कर रहा है.

पूरे घटनाक्रम की जांच कर रही पुलिस का मानना है कि सत्येंद्र की हत्या के बाद कई कंगाल होने के कगार पर खड़े हैं तो कई मालामाल हो चुके हैं. सिलीगुड़ी के मल्लागुड़ी के टी ऑक्सन रोड के ग्रीन पार्क इलाके का वासिंदा सत्येंद्र प्रसाद का मुख्य पेशा ही जमीन का धंधा था. सत्येंद्र ने प्रधाननगर थाना क्षेत्र के चम्पासारी इलाके के ढकनीकाटा मौजा, बागाघरिया मौजा, पोकाइजोत के अलावा माटीगाड़ा थाना क्षेत्र के हिमूल, पाथरघाटा, तुम्बाजोत व अन्य इलाकों में जमीन का साम्राज्य फैला रखा था. आरोप है कि वेस्ट जमीन हो या पट्टा या खतियानी जमीन या फिर किसी भी तरह की विवादित जमीन वह भूमि एवं भूमि संस्कार अधिकारियों (बीएलआरओ), अमिन, लॉ कलर्क के अलावा पंचायत, प्रखण्ड से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर फरजी कागजात बनवाकर जमीन दखल करवा लेता था.

जमीन को अपने सगे-संबंधियों या फिर उसके इस गोरखधंधे में साथ देनेवाले दोस्त-परिचितों के नाम करवा देता था. बाद में उन्हीं जमीन को उंचे दामों पर बिक्री कर देता था. इतना ही नहीं सत्येंद्र आदिवासी जनजाति (ट्रायवल) समुदाय के लोगों को भी अपने इस गोरखधंधे में शामिल कर रखा था और उनके बदौलत जनजाति जमीन को भी दखल कर लेता था. सत्येंद्र ने अपने इस गोरखधंधे के बल पर सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, कालिंपोंग, सिक्किम, असम, नागालैंड के न जाने कितने ही लोगों को चुना लगा चुका है. उसके विरुद्ध जमीन विवाद से जुड़े प्रधाननगर और माटीगाड़ा थाना में दर्जनों मामले दर्ज हैं. सत्येंद्र के हाथों अपनी जीवन भर की जमा-पूंजी गंवा चुके या फिर जिनकी जमीनें हड़प ली गयी उन पीड़ितों की माने तो सत्येंद्र की हत्या के बाद भी शासन-प्रशासन जमीन विवादों के मामलों को लेकर गंभीर नहीं होती है तो और भी कई जाने जा सकती है.

इसकी खास वजह सिलीगुड़ी में ऐसे और भी कई भू-माफिया हैं जिनका जमीन का साम्राज्य छाया हुआ है और सत्येंद्र की हत्या के बाद भू-माफियाओं के बीच खलबली मची हुई है. भू-माफिया गिरोह से जुड़े अधिकांश लोग सत्येंद्र के तरह ही सत्ताधारी दल का दामन थामकर अपने गोरखधंधों को अंजाम देते हैं. यही वजह है कि थानों में मुकदमे दायर होने के बावजूद पुलिस कार्रवायी नहीं करती है.

दूसरी ओर, सत्येंद्र हत्याकाण्ड को लेकर छप रही खबर के मद्देनजर सत्येंद्र के जानपहचान वालों ने कल यानी गुरूवार को प्रकाशित खबर पर आपत्ति जतायी है. यह आपत्ति प्रधाननगर निवासी सिद्धार्थ प्रसाद ने जतायी है. सिद्धार्थ के अनुसार सत्येंद्र से जुड़े खबर में उसके दादाजी का नाम दामोदर प्रसाद प्रकाशित हुआ जबकि असल में सत्येंद्र के दादाजी का नाम वैद्यनाथ प्रसाद है. लेकिन यह खबर सही है कि सत्येंद्र ने जमीन के कारोबार की बारिकियों को दामोदर प्रसाद के पास रहकर ही सीखा. दामोदर प्रसाद एक समय सिलीगुड़ी के नामी अमीन थे. लेकिन बाद में सत्येंद्र उन से अलग होकर जमीन के कारोबार को गलत तरीके से करने लगा.

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