इस विश्वविद्यालय में मंदिर प्रबंधन कोर्स की हुई शुरुआत, सिखाएं जाएंगे प्रसाद वितरण और बनाने के तरीके
Temple Management Course: वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने मंदिर प्रबंधन (Temple Management) नाम से एक नए डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत हुई है. एक साल की अवधि वाले इस पाठ्यक्रम को लेकर देश-विदेश के छात्रों में खासा उत्साह देखा जा रहा है.

Temple Management Course: देश में धार्मिक पर्यटन का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें अयोध्या और काशी प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं. इन शहरों में श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या ने इन्हें धार्मिक पर्यटन के हॉटस्पॉट में बदल दिया है. इसी सिलसिले में वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने मंदिर प्रबंधन (Temple Management) नाम से एक नए डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत हुई है. एक साल की अवधि वाले इस पाठ्यक्रम को लेकर देश-विदेश के छात्रों में खासा उत्साह देखा जा रहा है.
कुलपति ने दी जानकारी
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय (Sampurnanand Sanskrit University) के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि विशेषज्ञों की सलाह और गहन विचार-विमर्श के बाद मंदिर मैनेजमेंट कोर्स को तैयार किया गया है. इस डिप्लोमा कोर्स में पूजा-पद्धति और धार्मिक आचार संहिता के साथ पुजारियों की नैतिक जिम्मेदारियों, नए मंदिर की स्थापना, भीड़ नियंत्रण और मंदिर प्रशासन से जुड़ी सभी आवश्यक पहलुओं को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है. देश में कई संस्थान पुजारियों के प्रशिक्षण पर फोकस करते हैं, लेकिन मंदिर प्रबंधन का यह पहला समग्र कोर्स है, जिसे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने शुरू कर एक नई पहल की है.
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15 मई तक किए जाएंगे आवेदन
इस कोर्स को लेकर युवाओं में जबरदस्त रुचि देखी जा रही है. विश्वविद्यालय के कुलपति के अनुसार, भारत के साथ-साथ विदेशी छात्रों में इस कोर्स के लिए दिलचस्पी देखी जा रही है. इस कोर्स के लिए आवेदन की प्रक्रिया जारी है. इच्छुक छात्र 15 मई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा, इच्छुक छात्र विश्वविद्यालय से भी इस कोर्स के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
मंदिर निर्माण के साथ कई पहलुओं पर की जाएगी चर्चा
इस एक साल के डिप्लोमा कोर्स में छात्रों को नए मंदिर की स्थापना से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी. इसमें मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पूजा के अलावा मंदिर के शिखर की शैली, उसकी वास्तुकला और वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर उसका निर्माण जैसे कई पहलुओं पर गहरी जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा, इस कोर्स में प्रसाद वितरण के सही तरीके और प्रसाद निर्माण के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, इन महत्वपूर्ण पहलुओं को भी शामिल किया गया है.
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