Umesh Pal Murder Case: उमेश पाल हत्याकांड में दो एनकांउटर और एक गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ और पुलिस अपने खाते में नई उपलब्धि हासिल करने में जुट गई है. इसके बाद से ही सवाल उठ रहे हैं कि अब किसका नंबर आएगा. हमलावरों की धड़पकड़ के लिए 15 से अधिक टीमें सक्रिय हैं. ये टीमें अतीक अहमद के बेटे असद, गुड्डू मुस्लिम और गुलाम की तलाश में लगातार दबिश दे रही हैं. कहा जा रहा है कि हमलावरों की पश्चिम बंगाल में छिपे होने की सूचना पर एक टीम कोलकाता भी पहुंची है. इस दौरान उसने स्थानीय पुलिस से भी संपर्क साधा है.
विधानमंडल सत्र के दौरान वारदात का पछतावा
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े तेवर के बाद एसटीएफ और यूपी पुलिस की कार्रवाई को देखकर अतीक अहमद को पछतावा हो रहा है. उसे लग रहा है कि इस बार उसने बड़ी गलती कर दी. कहा जा रहा है कि वारदात के बाद अतीक अहमद ने अपने एक बेहद करीबी से संपर्क साधा. इस दौरान उसने कहा कि बड़ी गलती हो गई. विधानमंडल सत्र चल रहा था, इस दौरान हमला नहीं किया जाना चाहिए था.
अतीक और उमेश पाल के बीच इसलिए गहराया विवाद!
इस बात की भी चर्चा है कि उमेश पाल ने कोर्ट में अतीक अहमद के विरुद्ध अपनी पैरवी को कमजोर करने के बदले लगभग पांच करोड़ रुपये लिए थे और उसके बाद वह मुकर गया था. हालांकि पुलिस को जांच में अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है. इसलिए इसकी पुष्टि नहीं हुई है. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि उमेश पाल का लगातार अपना रसूख बढ़ाना और विवादित जमीनों के मामले में हस्तक्षेप करना अतीक गिरोह को रास नहीं आ रहा था. अतीक अहमद को लगने लगना था कि इस तरह उमेश उसके वर्चस्व को चुनौती दे रहा है. इसी वजह से इस हत्याकांड की साजिश रची गई. पुलिस इन तमाम बिंदुओं पर भी अपनी जांच पड़ताल कर रही है.
वारदात से पहले की गई थी रिर्हसल, असद से हुई ये चूक
ये बात भी सामने आई है कि उमेश पाल हत्याकांड से पहले अतीक गैंग ने इसकी पूरी योजना तैयार की. वारदात के बाद कौन किस दिशा से कहां जाएगा, ये प्लान बनाया गया. यहां तक कि रिर्हसल में यह भी तय हुआ कि गोली और बमबाजी के दौरान कौन क्या करेगा. सब कुछ योजना के मुताबिक ही होना था. लेकिन, घटना के दौरान अतीक का बेटा असद जोश में गाड़ी से बाहर आ गया और फायर करने लगा. इससे उसकी तस्वीर भी सामने आ गई, जबकि प्लान के मुताबिक उसे कार के अंदर ही रहना था.
अतीक को साबरमती जेल से लाने के लिए कवायद तेज
इसके साथ ही विधानसभा सत्र के दौरान इस वारदात के होने के कारण मामला सदन में भी सुर्खियों में छाया रहा. विपक्ष के शोर शराबे और हंगामे के कारण सरकार पर दबाव पड़ा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिट्टी में मिला देने जैसा बयान दिया. अतीक अहमद को अब पछतावा हो रहा है कि सत्र के दौरान इस वारदात को अंजाम नहीं देना चाहिए था. इस बीच पुलिस ने अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से लाने के लिए कवायद तेज कर दी है. अतीक के विरुद्ध साबरमती जेल में जल्द वारंट बी दाखिल कराया जाएगा. इसके साथ ही प्रयागराज पुलिस गुजराज कोर्ट में उसे पुलिस रिमांड पर लेने के लिए प्रार्थनापत्र दाखिल करेगी.
पश्चिम बंगाल में हैं अतीक के कई मददगार
कहा जा रहा है कि हत्या को अंजाम देने के बाद हमलावर प्रयागराज के सुलेमसराय इलाके में पहुंचे और फिर अलग-अलग हो गए. जांच पड़ताल में अतीक गिरोह के शूटर्स के पश्चिम बंगाल में छिपे होने की भी बात सामने आई है. आशंका है कि इन लोगों ने पश्चिम बंगाल में यार्ड क्षेत्र में शरण ली है. दरअसल अतीक अहमद के कई करीबी कोलकाता में हैं. इस वजह से हमलावरों के कोलकाता भागने की बात कही जा रही है, जहां स्थानीय माफिया के जरिए उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है. हत्यारों की तलाश में एसटीएफ, प्रयागराज व अन्य जिलों की 15 से अधिक टीमें सक्रिय हैं. इनमें से एक टीम को पश्चिम बंगाल भेजा गया है. बंगाल पुलिस की एसटीएफ इकाई से भी मदद मांगी जा रही है.