Prayagraj: प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के फरार शूटर अभी भी यूपी पुलिस और एसटीएफ के लिए पहेली बने हुए हैं. प्रदेश में अलग-अलग हिस्सों में लगातार दबिश देने के बावजूद एसटीएफ के हाथ खाली हैं. टीम ने अतीक अहमद से जुड़े कई लोगों से पूछताछ की है, बावजूद इसके कोई सुराग नहीं मिला है. इस बीच आशंका जताई जा रही है कि मुख्तार अंसारी गैंग भी अतीक के गुर्गों की मदद कर रहा है. मुख्तार गैंग को वारदात की भी जानकारी थी.
मुख्तार अंसारी गिरोह के लोग कर रहे मदद
एसटीएफ और पुलिस की अभी तक की पड़ताल में उमेश पाल हत्याकांड में इस थ्योरी की पुष्टि होने की बात कही जा रही है. मोहम्मद गुलाम, साबिर और गुड्डू मुस्लिम की मदद करने वाले कई लोगों के नंबर टीम को हाथ लगे हैं. इनकी पड़ताल में सामने आया है कि वारदात के बाद से ही फरार शूटर मुख्तार अंसारी गिरोह से जुड़े लोगों के संपर्क में थे. इन लोगों ने हर कदम पर उनकी मदद की.
असद के नेपाल निकलने की चर्चा
एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस का सबसे ज्यादा जोर अतीक अहमद के फरार बेटे असद को पकड़ने पर है. लेकिन, कहा जा रहा है कि असद यूपी की सीमा से काफी समय पहले की बाहर निकल चुका है. वह बहराइच के जरिए नेपाल में दाखिल हुआ और फरार शूटर योजना के मुताबिक एक दूसरे से संपर्क नहीं कर रहे हैं, जिससे कोई उन तक पहुंच सके.
गुड्डू मुस्लिम और साबिर यूपी में ही हो सकते हैं छिपे
वहीं शूटर मोहम्मद गुलाम साबिर और गुड्डू मुस्लिम को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं हो पाई है. ये लोग यूपी के ही किसी हिस्से में छिपे हो सकते हैं. हालांकि अभी तक पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा गया है.
वारदात के साथ फरार होने की हुई फूल प्रूफ प्लानिंग
इस बीच पड़ताल में सामने आया है कि उमेश पाल हत्याकांड को लेकर न सिर्फ पहले से योजना बनाई गई, बल्कि ये भी तय किया गया कि कौन किस रास्ते से फरार होगा, किस गाड़ी और नंबर प्लेट का इस्तेमाल करेगा. साथ ही सभी लोग अलग अलग दिशाओं में जाएंगे और एक दूसरे के संपर्क में नहीं रहेंगे, ताकि किसी एक के पकड़े जाने पर पुलिस को दूसरे का सुराग नहीं मिले.
एसटीएफ से दो कदम आगे चल रहे अपराधी
यही वजह है कि तमाम नंबर खंगालने के बाद एसटीएफ को जो भी जानकारी मिल रही है, वह काफी पहले की है. असद और अन्य फरार शूटर उनसे दो कदम आगे चल रहे हैं. योजना के मुताबिक वारदात के बाद से ही इनके मोबाइल स्विच ऑफ है. बताया जा रहा है कि अपराधी लगतार अपने नंबर बदल रहे हैं, ताकि किसी तरह अगर एसटीएफ और पुलिस को इसकी भनक भी लगे, तो वह उन तक पहुंच नहीं पाए.