प्रयागराज: नये संसद भवन में स्पीकर (लोकसभा अध्यक्ष) की कुर्सी के बगल में रखा जाने वाला सेंगोल (राजदंड) आजादी के बाद से इलाहाबाद संग्रहालय में रखा रहा है. छह महीने पहले ही इसे दिल्ली संग्रहालय को सौंपा गया था. बताया जा रहा है कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 को रात 10.45 बजे अंग्रेजों से लिया था. उन्होंने ही इसे इलाहाबाद संग्रहालय को सौंपा था.
संस्कृति मंत्रालय की टीम प्रयागराज से ले गयी दिल्ली
सेंगोल (राजदंड) तब चर्चा में आ गया, जब गृह मंत्री अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस में इसकी चर्चा की. लेकिन इस राजदंड को लेकर लगभग छह माह से सुगबुगाहट चल रही है. बताया जा रहा है कि इलाहाबाद संग्रहालय में यह सेंगोल (राजदंड) गोल्डन स्टिक के रूप में प्रदर्शित किया गया था. जब राजदंड के रूप में इसकी पहचान हुई तो संस्कृति मंत्रालय की टीम इसे राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली ले गयी.
पं. जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया था राजदंड
यह भी कहा जा रहा है कि सोने से बने इस सेंगोल (राजदंड) को किंग जार्ज की तरफ से अंतिम वायसराय लार्ड माउंट बेटेन ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को सौंपा था. इसके बाद इसे इलाहाबाद संग्रहालय को सौंपा गया था. पहले प्रधानमंत्री की कई अन्य वस्तुएं भी संग्रहालय को दी गयी थीं.
नये संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा
इतिहासकारों के अनुसार सेंगोल (राजदंड) चोल साम्राज्य की परंपरा रही है. जब भी कोई राजा बनाता था, उसे यह राजदंड दिया जाता था. सेंगोल का अर्थ होता है- संपदा से सम्पन्न. गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल अंग्रेजों से मिला था. इसे तमिलनाडु से मंगवाया गया था. अब इसे नये संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा.
सेंगोल शब्द का पहली बार कब इस्तेमाल किया गया
सेंगोल शब्द संस्कृत के 'संकु' से लिया गया है. संकु का मतलब शंख होता है. यह सोने और चांदी का बना होता है. सेंगोल पर सबसे ऊपर नंदी विराजमान हैं. इसके बाद कई कलाकृतियां बनी हैं. भारत में सेंगोल का सबसे पहले मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) उपयोग किया गया था. इसके ब गुप्त साम्राज्य (320-550 ईस्वी) और फिर चोल साम्राज्य में सबसे ज्यादा इसका उपयोग किया गया. 96 साल के तमिल विद्वान पंडित जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल सौंपते समय मौजूद थे. अब वही 28 मई को भी नये संसद भवन में मौजूद रहेंगे.