लखनऊ. लैंगिक भेदभाव के खिलाफ काम करने वाले नारीवादी संगठन ' दखल ' के बैनर तले रविवार को कचहरी वाराणसी (बनारस) स्थित अम्बेडकर पार्क में महिला, छात्रा और बनारस के नागरिक समाज के लोगों ने एकत्रित होकर हाथरस कांड में एससीएसटी कोर्ट के फैसले को लेकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन स्थल पर लोगो के बीच में बात रखते हुए डॉ इंदु पांडेय , नीति का कहना था कि वह लोग हाथरस कांड में लोअर कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के पक्षधर हैं. बिलकिस की हाथरस की उन्नाव कठुवा आदि की बात करनी आज बेहद जरूरी है.
इंसाफ के लिये खड़ा करेंगे जनआंदोलन
शालिनी और पारमिता कहती हैं कि आज होली जब हम मना रहे है तो इस समय तेज आवाज में बज रहे अश्लील गानों और गाली गलौज जिसमे दो पुरुष अपने बीच की लड़ाई में मां बहन को बीच मे ले आते हैं, का भी विरोध करना होगा। ये कैसा समाज हम बना रहे हैं, हमे चिंता करने की जरूरत है. हम कैसा समाज बना रहे हैं. लैंगिक भेदभाव और उत्पीड़न को लेकर और कितनी घटना का उदाहरण दें. हाथरस कांड मामले में पूरे इंसाफ के लिये लड़ाई जनआंदोलन के रूप में लड़ी जानी चाहिये.
आरोपियों को सजा दिलाने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेगा बिटिया का परिवार
हाथरस कांड में कोर्ट में दो साल से अधिक चली सुनवाई के दौरान कुल 68 तारीखों में 35 लोगों की गवाही हुई. दोनों पक्षों से जुड़े लोगों ने कोर्ट में जिरह की. घटना के बाद हाथरस पूरे देश में चर्चाओं में आ गया था. एसआईटी के बाद सीबीआई ने इस प्रकरण की जांच की थी. दोषी अधिकारी निलंबित हुए लेकिन अब बहाल हो गये हैं. बिटिया का परिवार हाथरस कांड में एससीएसटी कोर्ट के फैसला को चुनौती देकर बरी आरोपियों को सजा दिलाने के लिये हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने का ऐलान किया गया है.