वृंदावन. शुक्रवार को रंगभरनी एकादशी पर जनजन के आराध्य ठाकुर बांके बिहारी महाराजने भक्तों संग होली खेली. मंदिर में भीड़ को देखते हुए सेवायत गोस्वामी द्वारा सुबह तय समय 8:45 से लगभग एक घंटे पहले ही ठाकुरजी के पट खोल दिए गये थे . इस साल पांच लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किए. प्रेम से वशीभूत जनसमुद्र मंदिर प्रांगण में हिलोरे मार रहा था. मंदिर प्रांगण में ठाकुर बांके बिहारी के गगनभेदी जयकारे लाड़ले के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा को बता रहे थे. अबीर-गुलाल और रंग के ऐसे गुबार उड़े कि मंदिर की आभा सतरंगी दिखने लगी. मंदिर प्रांगण रंग बिरंगे रंग-गुलाल और फूलों से अट गया. बांके बिहारी का प्रांगण इन रंगों से सराबोर हो गया.
ठाकुरजी पर स्वर्ण पिचकारी से केसर निर्मित सुगंधित रंग डाला
मंदिर के पट खुलते ही जन समुद्र मंदिर प्रांगण में जयकारे लगाते हुए प्रवेश कर गया. सेवायतों ने सर्व प्रथम रजत सिंहासन पर स्वेत पोशाक धारण कर विराजमान ठाकुरजी पर स्वर्ण पिचकारी से केसर निर्मित सुगंधित रंग को डालकर वृंदावन में परंपरागत होली का शुभारंभ किया. इसके बाद मंदिर प्रांगण में अबीर-गुलाल और फूलों की होली की होली हुई इसका देश विदेश से आए श्रद्धालुओं ने आनंद लिया. टेसू के फूलों, केसर के रंगों से निर्मित प्राकृतिक रंगों को पिचकारियों में भरकर मंदिर सेवायतों के द्वारा श्रद्घालुओं पर वर्षा की गई. रंग और गुलाल में सराबोर हो भक्तों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. प्रसादी रंग और गुलाल डलवाकर भक्त कृतार्थ हुए .
संभल नहीं पाई भीड़
रंग भरनी एकादशी पर मंदिर परिसर में हुई भक्तों की भीड़ संभाले नही संभल सकी. मंदिर में सुरक्षा के लिए लगाई गई पुलिस फोर्स और मंदिर के निजी सुरक्षा गार्ड भीड़ के रेले को संभाल नहीं सके. हर कोई ठाकुर बांके बिहारी की एक झलक पाने को आतुर दिखा. मंदिर के चौंक में भीड़ समुद्र की लहर की माफिक हिलोरे मार रही थी. हांलाकि पुलिस प्रशासन की पहले की कईं तैयारियों के कारण व्यवस्था पहले के मुकाबले दुरुस्त दिखाइ दी.
पीठ पडॺो लहराये, तेरों कारौ चुटीला रेशम कौ
सेवायतों के होली गीत, सवईया, समाज गायन के साथ बाधाई गीत गाए गए. सेवायत प्रह्लल वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि सेवायतों ने गोपी के गाल गुलाबिन पै, मल लाल गुलाल लगावत लाला...पीठ पडॺो लहराये, तेरों कारौ चुटीला रेशम कौ... आदि का गायन किया. रंगीली एकादशी के वृंदावन दर्शन करने आए श्रद्धालुओं ने अपने को धन्य महसूस किया. ठा.बांकेबिहारी में बरस रहे रंग-गुलाल में डूबे दिखे. बांके बिहारी मंदिर पहुंचे. दिल्ली निवासी रीना ने कहा कि यहां की होली ने उन्हें काफी आकर्षिक किया है. ऐसी होली उन्होंने पहली बार देखी है. एटा निवासी अंजली अपने परिवार के साथ बांकेबिहारी की होली में शामिल हुईं. ठाकुरजी के दर्शन पाकर धन्य हुईं.
टेसू के रंग और चंदन का हुआ प्रयोग
रंगीली एकादशी पर जनजन के आराध्य ठाकुर श्री बांकेबिहारी महाराज अपने रजत सिंघासन पर आरुढ़ होकर स्वेत पोशाक धारण कर होली खेलने जगमोहन में विराजे. मंदिर में होली खेलने के लिए ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में टेसू के विभिन्न प्रकार रंग, चंदन के अलावा चोवा, अबीर और गुलाल का प्रयोग किया गया, जबकि ठाकुर बांके बिहारी जी के लिए शुद्ध केसर का रंग बनाया गया और इस केसरयुक्त रंग को सेवायतों द्वारा सबसे पहले स्वेत वस्त्र धारण किए हुए ठाकुर बांकेबिहारी के ऊपर स्वर्ण रजत पिचकारी से डाला.
पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
ठाकुर बांके बिहारी के भक्तों में लगातार इजाफा हो रहा है. नए साल पर ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में जहां दस लाख के आस पास भक्तों ने दर्शन किए वहीं आज रंगीली एकादशी पर पांच लाख से अधिक भक्त अपने आराध्य की झलक भर पाने की अभिलाषा लिए पहुंचे हैं. खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सुबह और शाम के समय लगभग 4 से 5 लाख भक्तों ने ठाकुरजी के दर्शन किए, जबकि गैर सरकारी आंकड़े इससे अधिक हैं.