Lucknow: उत्तर प्रदेश लगातार दूसरे साल ई-अभियोजन पोर्टल के जरिए सबसे अधिक संख्या में केस दर्ज करने और उनके निस्तारण के मामले में पहले पायदान पर रहा. उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में सजा देने की दर को लेकर अग्रणी राज्य बना है.
2021 के बाद 2022 में यूपी पहले पायदान पर
एडीजी (अभियोजन) आशुतोष पाण्डेय के मुताबिक ई-अभियोजन पोर्टल के जरिये सबसे ज्यादा संख्या में मामले दर्ज करने और उनके निस्तारण में उत्तर प्रदेश वर्ष 2021 के बाद 2022 में भी शीर्ष पर रहा. इसकी ट्रॉफी को जिलों में भी भेजा जाएगा ताकि हमारे अभियोजकों और पुलिस अधिकारियों के अंदर मामलों में सजा सुनिश्चित करने में उनकी कड़ी मेहनत को लेकर गर्व की भावना पैदा हो सके.
फरवरी तक 1.11 करोड़ मामले दर्ज
फरवरी तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में पोर्टल पर 1,11,86,030 मामले दर्ज किए गए हैं. इसके बाद मध्य प्रदेश में 29,31,335, बिहार में 11,89,288, गुजरात में 5,16,310 और छत्तीसगढ़ में 4,71,265 मामले दर्ज किए गए हैं. उन्होंने बताया कि 2021 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों में सजा की दर राष्ट्रीय औसत 26.5 प्रतिशत के मुकाबले 59.1 प्रतिशत थी.
दुष्कर्म के 671 केस में दिलाई गई सजा
आपराधिक मामलों में सजा सुनिश्चित करने में भी उत्तर प्रदेश ने लगातार सुधार किया है. दुष्कर्म के मामलों में, 2020 में 177 की तुलना में 2022 में 671 मामलों में सजा हुई. इसी तरह, पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में जहां वर्ष 2020 में 535 प्रकरणों में सजा दिलाई गई वहीं 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 2,313 हो गया है. पिछले दो वर्षों में दहेज हत्या, अपहरण और यौन उत्पीड़न के मामलों में सजा दिलाने की दर क्रमशः 220 प्रतिशत, 475 प्रतिशत और 2,075 प्रतिशत बढ़ी है.
सरकारी वकील पुलिस का रवैया बदलने की कोशिश
एडीजी (अभियोजन) आशुतोष पाण्डेय के मुताबिक कहा कि हमने सरकारी वकीलों, पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के रवैये को बदलने की कोशिश की है ताकि वे मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए मिलकर काम कर सकें.