लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की इलाहाबाद और लखनऊ खंडपीठ के लिए सरकारी वकीलों का पैनल घोषित कर दिया है. यूपी सरकार ने सरकारी वकीलों की जो लिस्ट जारी की है उसमें कई पुराने वकीलों के नाम नहीं हैं. नई सूची में नए वकीलों को अधिक मौका मिला है. न्याय विभाग ने हाई कोर्ट की दोनों खंडपीठ के लिए 700 अधिवक्ता की सूची फाइनल कर जारी कर दी है.
पहले संबंध सभी अधिवक्ता की संविदा को समाप्त
पहले संबंध सभी अधिवक्ता की संविदा को समाप्त करने के बाद फाइनल सूची जारी की है. सरकारी वकील की नई सूची को लेकर उच्च न्यायालय में चर्चा तो कई दिनों से चल रही थी लेकिन घोषणा अब की गयी है. माना जा रहा है कि सरकार ने सरकारी वकीलों की सूची में अपने उन'असंतुष्टों' का नाम खूब जोड़ा है जो निकाय चुनाव के दौरान अपनी नाराजगी प्रकट कर चुके थे. लंबे समय से पार्टी से जुड़े होने के बाद भी शहर की सरकार का हिस्सा बनने के अवसर से वंचित कर दिए गए थे. 515 स्थायी अधिवक्ता नियुक्त किए गए है. इलाहाबाद में मुख्य स्थायी वकील (chief standing counsel ) 16 बनाए गए हैं.
16 अपर महाधिवक्ता की नियुक्ति
उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 असिस्टेंट एडवोकेट जनरल (AAG) बनाए हैं. इनमें पांच लखनऊ बेंच और आठ नाम इलाहाबाद बेंच के लिए नियुक्त किए गए हैं. इलाहबाद बेंच के लिए अशोक मेहता, अजीत कुमार सिंह, नीरज त्रिपाठी, मनीष गोयल, पीके गिरी, पीके श्रीवास्तव महेश चंद्र चतुर्वेदी और शिव कुमार पाल और अपर महाधिवक्ता नियुक्त किया गया है. लखनऊ बेंच के लिए अनिल प्रताप सिंह , कुलदीपपति त्रिपाठी, अशोक शुक्ला, विमल श्रीवास्तव तथा वीके शाही अपर महाधिवक्ता चुने गए हैं.