Lucknow : समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां की जिस हेट स्पीच केस में विधायकी चली गई अब उस केस में जब MP-MLA कोर्ट से फैसला आया तो आजम खां को बरी बाइज्जत कर दिया गया. यानी आजम खां को मिली तीन साल की सजा में राहत तो मिली लेकिन उससे पहले उनकी विधायकी चली गई. ऐसे में अब विधायकी पर क्लेश शुरू हो गया है.
कोर्ट से मिली राहत तो उठने लगे कई सवाल
रामपुर की स्पेशल कोर्ट में बुधवार को आजम खान के हेट स्पीच केस में सुनवाई हुई. बुधवार को कोर्ट ने आजम खां को इस मामले में बरी कर दिया. हालांकि, इससे पहले रामपुर की निचली अदालत ने उन्हें इसी केस में तीन साल की सजा सुनाई थी. लेकिन अब स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है.
निचली अदालत ने सपा नेता के खिलाफ बीते साल 27 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाया था. चूंकि कानून में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है और ऐसा ही आजम खां के साथ भी हुआ लेकिन जब उन्हें जब कोर्ट से राहत मिली तो कई सवाल भी उठने लगे हैं.
छजलैट प्रकरण में भी हो चुकी है सजा
बहरहाल आपको यह बता दें कि आजम को 15 साल पुराने छजलैट प्रकरण में भी मुरादाबाद की कोर्ट से दो वर्ष की सजा होने के कारण फिलहाल उनकी सदस्यता बहाल होने पर संदेह है. छजलैट पुलिस ने 29 जनवरी, 2008 को सपा के रामपुर के पूर्व विधायक आजम खां की कार को चेकिंग के लिए रोका था. इस दौरान गुस्सा होकर आजम खान सड़क पर बैठ गए थे. जिसके बाद आजम और उनके साथियों पर सड़क जाम करने और सरकारी काम में बाधा डालने, भीड़ को उकसाने आरोप लगे थे.
पुलिस ने पिता-पुत्र समेत 9 के खिलाफ केस दर्ज किया था. इस मुकदमे की सुनवाई मुरादाबाद के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में हुई. इस मामले में आजम खां और अब्दुल्ला खां, महबूब अली सहित 9 सपा नेता आरोपी थे. हालांकि कोर्ट ने बाकी लोगों को निर्दोष करार दिया. मगर आजम और उनके बेटे अब्दुल्ला को इस मामले में दोषी करार दिया था.
आजम पर सजा के बाद भाजपा ने कब्जा कर ली गढ़
वहीं आजम खां की रामपुर सदर सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की जीत हुई थी और बीजेपी से आकाश सक्सेना ने सपा के असीम राजा को रहा दिया था. चूंकी असीम राजा आजम खां के खास माने जाते हैं, इसलिए उनकी हार का मतलब आजम की हार थी. वहीं इसी साल फरवरी में छजलैट प्रकरण में आज़म खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को मुरादाबाद कोर्ट ने एक साथ दोषी ठहराया था.
जिसके बाद अब्दुल्ला आज़म को स्वार विधानसभा सीट को छोड़ना पड़ा था. वहीं इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को आजम परिवार के गढ़ को नष्ट करने का एक और मौका मिला. इसी महीने हुए उपचुनाव में भाजपा समर्थित अपना दल (एस) के उम्मीदवार शफीक अंसारी ने समाजवादी पार्टी के अनुराधा चौहान को बुरी तरीके से हराया था.
सुप्रीम कोर्ट ही कोई समाधान निकाल सकता है- कानूनी विशेषज्ञ
इस पर कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि आज़म को एक मामले में बरी कर दिया गया है. मगर, वे सुप्रीम कोर्ट में अपनी सदस्यता बहाल करने की याचिका दायर करते हैं तो छजलैट प्रकरण में सुनाए गए दूसरी सजा के कारण राहत नहीं मिलेगी. वहीं यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर मेरे पास कोई सीधा जवाब नहीं है. बंदूक से एक बार निकली गोली वापस नहीं होती है. अगर आजम को हेट स्पीच केस में बरी कर दिया गया है तो उनकी सदस्यता वापस होगी या रद्द रहेगी, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ही कोई समाधान निकाल सकता है.
पीएम और सीएम पर टिप्पणी में भी हो चुकी है सजा - डीएम अंजनेय
वहीं रामपुर के तत्कालीन डीएम अंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि पीएम मोदी और सीएम योगी पर अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां के खिलाफ 27 अक्टूबर 2022 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार देते हुए तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी. प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनी है उसके बाद से आजम खां के खिलाफ भ्रष्टाचार, चोरी और जमीन हड़पने तक के लगभग 100 मामले दर्ज हैं.
फैसले तो पक्ष में आया मगर सदस्यता खो दी- आजम के वकील
जिला सत्र न्यायालय के सरकारी वकील प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि एमपी एमएलए की निचली कोर्ट द्वारा आजम खां को दोषी ठहराए जाने के बाद अपील दायर की गई थी. स्पेशल कोर्ट ने अपील को स्वीकार कर लिया और सुनवाई के बाद निचली अदालत के फैसले को पलट दिया है. वहीं आजम खां के वकील जुबैर अहमद ने कहा कि निचली अदालत के फैसले के बाद मेरे मुवक्किल ने विधानसभा की सदस्यता खो दी है. आगे की कार्रवाई तय करने से पहले हम लोग सभी कानूनी पहलुओं पर अध्ययन करेंगे.
आजम पर 90 से अधिक मामले हैं दर्ज
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां पिछले दिनों बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे थे, कई बार उनकी आंखों से सियासी आंसू निकल गए. उनपर आईपीसी की धारा 153A, 505A और 125 के तहत दोषी पाया गया था. वहीं आज़म पर विशेष रूप से "जबरन वसूली, आपराधिक साजिश रचने और चोरी" के 90 से अधिक मामलों में आरोप लगाया गया है. उन्हें 2020 में गिरफ्तार किया गया था और 27 महीने के लिए जेल भेज दिया गया था.