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गोरखपुर : राघवदास मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल सस्पेंड, सरकार ने पहली बार कहा – सभी मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं

गोरखपुर/लखनऊ: गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में मौत की वजह ऑक्सीजन सिलेंडर को नहीं मानने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार शाम में स्वीकारोक्ति के मोड में आती दिखी. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि सभी मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन […]

गोरखपुर/लखनऊ: गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में मौत की वजह ऑक्सीजन सिलेंडर को नहीं मानने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार शाम में स्वीकारोक्ति के मोड में आती दिखी. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि सभी मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन में 20 से 23 मौतें चौंकाने वाली घटना है. उन्होंने कहा कि आज वहां चार बच्चों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि बीआरडी अस्पताल में आम तौर पर 17 से 18 मौतें होती हैं. मामले की जांच के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी गयी है. वहीं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया है.

गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास मेडिकल काॅलेज में बीते65 घंटे के दौरान 63 बच्चों की मौत हो गयी. इन मौतों ने हड़कंप मचा हुआ है. इस घटना पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की है. वहीं, प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मीडिया की उन खबरों का खंडन किया है कि ये बच्चे ऑक्सीजन की कमी से मरे हैं. सरकार ने कहा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था पड़ोसी जिलों से कर ली गयी थी और बच्चे अलग-अलग कारणों से मरे. उधर, विपक्ष ने पीड़ित परिवारों को 20-20 लाख रुपये देने व राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के इस्तीफे देने की मांग की है.

उत्तरप्रदेश सरकार ने मामले की जांच के लिए समिति का गठन कर दिया है. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि सात अगस्त से लेकर अबतक बच्चों की मौत विभिन्न कारणों से हुई है. उन्होंने कहा है कि सोमवार से कई बीमारी के कारण ये मौतें हुई हैं.उन्होंने कहा है कि विपक्ष मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है.

गोरखपुर के जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने कल रात 30 बच्चों की मौत की पुष्टि की थी. उन्होंने पिछले दो दिन में हुई मौतौं का ब्यौरा देते हुए रात में बताया था कि ‘नियो नेटल वार्ड ‘ में 17 बच्चों की मौत हुई जबकि ‘एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम यानी एईएस ‘ वार्ड में पांच तथा जनरल वार्ड में आठ बच्चों की मृत्यु हुई. उन्होंने बताया कि कल मध्यरात्रि से अब तक नियो नेटल वार्ड में तीन, एईएस वार्ड में दो और जनरल वार्ड में दो बच्चों की मौत हुई. शेष 23 मौतें नौ अगस्त की मध्यरात्रि से कल यानी दस अगस्त मध्यरात्रि के बीच हुईं. इस सवाल पर कि क्या ये मौतें आॅक्सीजन की कमी की वजह से हुईं, रौतेला ने कहा कि उन्हें मेडिकल काॅलेज के डाक्टरों ने स्पष्टरूप से बताया है कि आॅक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई.

वहीं, शनिवार की सुबह सरकारी रेडियो आकाशवाणी ने खबर दी कि मरने वाले बच्चाें की संख्या 60 तक पहुंच गयी है. वहीं, हालात को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआइ ने खबर दी है कि परिजनों ने भेदभाव का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि उन्हें खाना और दवाइयां बाहर से खरीदनी होती है. वहीं, अस्पताल के एक डॉक्टर ने मीडिया से कहा है कि मॉनसून का महीना होने के कारण अस्पताल में पेसेंट की संख्या बढ़ जाती है. एक-एक बेड पर दो-दो पेसेंट रखने पड़ते हैं, लेकिन हम 24 घंटे रोगियों का इलाज करते हैं.

इस बीच लखनऊ में राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कुछ समाचार चैनलों पर प्रसारित इन खबरों को ‘भ्रामक ‘ बताया कि आक्सीजन की कमी से ये मौतें हुई हैं.

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